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मधुमेह रोग समाज के लिए चुनौती, शारीरिक परिश्रम और उचित खानपान का रखें ध्यान


अखिलेश्वर तिवारी
बलरामपुर ।। भागदौड़ से भरी इस जीवन शैली में कई बीमारियां आज इतनी आम हो गई हैं कि हर दूसरा इंसान आज इससे जूझता दिखाई देता है। आम हो चली इन बीमारियों में शुगर यानी मधुमेह रोग समाज में एक चुनौती बन गयी हैं। दुनियाभर में तेजी से बढ़ती इस चुनौती से सामना करने और लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है।
गुरूवार को डा. ए.के. सिंद्यल अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सीएमओ कार्यालय सभागार में आयोजित मधुमेह रोग जन जागरूकता संगोष्ठी में कही। उन्होने बताया इसकी शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1991 में की थी। तब से हर वर्ष 14 नवम्बर को यह दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है “परिवार और मधुमेह”। डा. ए.के. पाण्डेय ने बताया समाज में मधुमेह, कैंसर, ह्रदय रोग व अन्य प्रकार के गैर संचारी रोगों से ग्रसित मरीजों की बढ़ती हुयी संख्या और इस समस्या से निपटने हेतु भारत सरकार द्वारा एनपीसीडीसीएस (कैंसर, मधुमेह, कार्डियोवैस्कुलर डिजिजीज और स्ट्रोक के निवारण और नियंत्रण के लिए) कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत संयुक्त जिला चिकित्सालय में मधुमेह की जाँच, दवा व परामर्श सेवा प्रदान की जाती है। जिला स्वास्थ्य शिक्षा सूचना अधिकारी अरविंद मिश्रा ने बताया मधुमेह आज के समय की एक आम बीमारी बन गयी है। समुदाय के अधिकांश लोग इस बीमारी से घिरे हुए हैं। लोगों द्वारा शारीरिक मेहनत न किये जाने से आज इस बीमारी ने भयानक रूप ले लिया है। इससे निपटने के लिए हमें शारीरिक परिश्रम और उचित खानपान का ध्यान रखना देना होगा। अभी तक डायबिटीज का कोई भी ठोस इलाज नहीं है, लेकिन इसके खतरों से बचने के लिए आहार में सावधानी बरतने और नियमित रूप से व्यांयाम करने की जरूरत है। संगोष्ठी के दौरान एसीएमओ डा. कमाल अशरफ, जिला मलेरिया अधिकारी मंजुला आनंद, डीपीएम शिवेन्द्र मणि त्रिपाठी, आरकेएसके कोआर्डिनेटर अमरेन्द्र मिश्रा, शमीम अहमद, शिताॅशु रजत, त्रिलोकी त्रिपाठी, राजेन्द्र तिवारी सहित तमाम आशाएं और एएनएम मौजूद रहीं।

क्या है डायबिटीज

 खून में ग्लूकोज (शर्करा) का स्तर निर्धारित सीमा से अधिक होता है, तो ऐसी स्थिति को मधुमेह रोग कहते हैं। दरअसल मधुमेह या डायबिटीज, जीवनशैली या वंशानुगत बीमारी है, जो शरीर में पैंक्रियाज ग्रंथियों के निष्क्रिय होने पर रोगी को प्रभावित करती है। पैंक्रियाज यानि अग्न्याशय ग्रंथियों के निष्क्रिय होने पर इंसुलिन (रक्त में शर्करा की मात्रा को संतुलित करने वाला हार्मोन) बनना बंद हो जाता है। इसके साथ ही कोलेस्ट्रॉल और वसा भी असामान्य हो जाते हैं, जिस कारण वाहिकाओं में बदलाव होता है और प्रभावित व्यक्ति को आंखों, गुर्दे, दिमाग, दिल आदि संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

डायबिटीज के लक्षण

अत्यधिक भूख लगना, अधिक नींद आना, प्यास ज्यादा लगना, पेशाब ज्यादा लगना, किसी घाव को भरने में बहुत अधिक समय लगना, आँख से कम दिखाई देना, अचानक से वजन कम होना, शरीर के कुछ भागों का सुन्न होना अथवा झिनझिनी महसूस होना, जल्दी थकान महसूस होना आदि।
क्या कहते हैं आंकड़े

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, डायबिटीज यानि मधुमेह एशिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, जिसका प्रभाव सबसे अधिक भारत में देखा गया है। अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह फेडरेशन के मुताबिक, भारत में लगभग 6.5 करोड़ वयस्क डायबिटीज और 7.7 करोड़ लोग प्री डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं।

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