अखिलेश्वर तिवारी
गर्भनाल देखभाल के आभाव से संक्रमण फैलने का अधिक खतरा
संक्रमित गर्भनाल से नवजात को गंवानी पड़ सकती है जान
बलरामपुर ।। माँ और गर्भस्थ शिशु को गर्भनाल भावनात्मक एवं शारीरिक दोनों स्तर पर जोड़ता है। गर्भस्थ शिशु को गर्भनाल के जरिए ही आहार भी प्राप्त होता है। इसलिए शिशु जन्म के बाद भी गर्भनाल के बेहतर देखभाल की जरूरत होती है। बेहतर देखभाल के आभाव में नाल में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है, जो गंभीर परिस्थितियों में नवजात के लिए मृत्यु का भी कारण बन जाता है।
बाल रोग विशेषज्ञ डा. सुनील गुप्ता ने बताया गर्भनाल की समुचित देखभाल जरुरी होता है। शिशु जन्म के बाद नाल के ऊपर से किसी भी प्रकार के तरल पदार्थ या क्रीम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। नाल को सूखा रखना जरुरी होता है। बाहरी चीजों के इस्तेमाल से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। गर्भनाल का संबंध सीधे बच्चे के लीवर व रक्त की वाहिनियों से होता है यदि हम गर्भनाल पर कुछ लगाते है तो पूरे शरीर में फैल सकता है। महीने में 2 से 3 केस ऐसे अस्पताल में आते ही हैं। इस संबंध में फैसिलिटी लेवल से लेकर समुदाय स्तर पर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसमें आशा एवं एएनएम के साथ नर्स, चिकित्सक एवं काउंसलर भी लोगों को जागरूक करने में अहम योगदान दे रहे हैं।
गर्भनाल देखभाल इसलिए जरुरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार देश में पहले एक माह में नवजात के मृत्यु की संभावना एक माह के बाद होने वाले मौतों से 15 गुना अधिक होती है। पांच साल से अंदर बच्चों की लगभग 82 लाख मौतों में 33 लाख मौतें जन्म के पहले महीने में ही होती है। जिसमें 30 लाख मृत्यु पहले सप्ताह एवं 2 लाख मृत्यु जन्म के ही दिन हो जाती है। जन्म के शुरूआती सात दिनों में होने वाली नवजात मृत्यु में गर्भनाल संक्रमण भी एक प्रमुख कारण होता है।
ऐसे रखें गर्भनाल का ध्यान
प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा प्रसवोपरांत नाल को बच्चे और माँ के बीच दोनों तरफ से नाभि से 2 से 4 इंच की दूरी रखकर काटी जाती है। बच्चे के जन्म के बाद इस नाल को प्राकृतिक रूप से सूखने देना जरूरी है, जिसमें 5 से 10 दिन लग सकते हैं। शिशु को बचाने के लिए नाल को हमेशा सुरक्षित और साफ रखना आवश्यक है ताकि संभावित संक्रमण को रोका जा सके। गर्भ नाल की सफाई करते वक्त उसे हमेशा सूखा रखें ताकि संक्रमण से बचाया जा सके। नाल के ऊपर कुछ भी बाहर से नहीं लगाएं। नाल की सफाई से पहले हाथ अच्छी तरह से साबुन से धोकर सूखा ले ताकि संक्रमण नहीं फेले। शिशु के मल-मूत्र साफ करते समय ध्यान रखें की नाल के उसका संपर्क ना हो। नाल की सफाई के लिए केमिकल का इस्तेमाल नहीं करें बल्कि साफ रुई या सूती कपड़ा का इस्तेमाल करें। नाल को ढंककर रखने से पसीने या गर्मी से संक्रमण फैल सकता है, इसलिए उसे खुला रखें ताकि वह जल्दी सूखे। कार्ड स्टम्प को कुदरती रूप से सुख कर गिरने दें, जबर्दस्ती न हटाये। नाल के सुख कर गिर जाने तक शिशु को नहलाने के जगह स्पंज दें।
लक्षणों को नहीं करें अनदेखा
नाल के आसपास की त्वचा में सूजन या लाल हो जाना। नाल से दुर्गंधयुक्त द्रव का बहाव होना। शिशु के शरीर का तापमान असामान्य होना। नाल के पास हाथ लगाने से शिशु का दर्द से रोना। ऐसी परिस्थितियों में नवजात को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में तुरंत ले जाना चाहिए।
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