शिवेश शुक्ला
बस्ती। उपजिलाधिकारी प्रेम प्रकाश मीणा के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कस्बे में तीन अस्पतालों पर छापेमारी किया। दो अस्पताल बिना लाइसेन्स तथा एक अस्पताल में मेडिकल स्टोर एवं ऑपरेशन थियेटर मानक विहीन पाया गया। अधिकारियों द्वारा तीनों अस्पतालों को सील कर संचालको के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया है। जानकारी के अनुसार उप जिलाधिकारी ने चिकित्साधीक्षक डॉ. आर.के. सिंह टीम के साथ एकांश हॉस्पिटल पर छापा मारा।
एसडीएम ने अस्पताल संचालक डॉ.बी.पाण्डेय से अस्पताल एवं मेडिकल स्टोर का लाइसेन्स मांगा जिसे वे नही दिखा पाए। अस्पताल में कुछ मरीज भी भर्ती थे जिस पर एसडीएम ने डॉक्टर की डिग्री मांगी। संचालक द्वारा जो डिग्री दिखायी गई वह एलोपैथिक के लिए मान्य नही था। पर्चे पर अंकित एक भी डॉक्टर मौजूद नही पाए गए जबकि अस्पताल में मरीज भर्ती थें। एसडीएम ने मरीजों को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हर्रैया में भर्ती कराया। एसडीएम ने नायब तहसीलदार निखिलेश कुमार चौधरी को अस्पताल सील कर संचालक के विरूद्ध कार्रवाई का निर्देश दिया। इसके साथ ही अस्पताल में एक्स-रे मशीन भी लगी थी लेकिन टेक्शीनियन नही थे।
टीम द्वारा ऊँ मातेश्वरी हास्पिटल पर छापेमारी किया गया जहां पर अस्पताल का लाइसेन्स तो था। लेकिन मेडिकल स्टोर से सम्बन्धित कोई कागजात संचालक द्वारा नही दिखाया गया। चिकित्साधीक्षक तथा नायब तहसीलदार द्वारा ऑपरेशन रजिस्टर का निरीक्षण किया गया। रजिस्टर में मई माह से अब तक कुल 12 ऑपरेशन पाए गए। चिकित्साधीक्षक ने जब सर्जन से फोन पर ऑपरेशनो की संख्या पूछी तो उनके द्वारा मात्र तीन या चार ऑपरेशन बताया गया। अस्पताल के संचालक डॉ. आर.बी. मौर्य से ऑपरेशन के बारे में पूछताछ किया तो उसी उत्तर नही दे पाए।
नायब तहसीलदार ने ऑपरेशन थ्रियेटर तथा मेडिकल स्टोर को सील कर दिया। एसडीएम ने महूघाट गांव के पास गौहनिया मार्ग पर चल रहे एक क्लीनिक पर छापेमारी किया। उन्होंनें क्लीनिक संचालक डॉ. सत्य प्रकाश से डिग्री मांगा तो नही दिखा पाए। मेडिकल स्टोर से सम्बन्धित की कोई कागजात नही था। स्वास्थ्य टीम को निर्देशित करते हुए एसडीएम ने क्लीनिक सील करने का निर्देश दिया। स्वास्थ्य टीम द्वारा क्लीनिक सील कर दिया गया। चिकित्साधीक्षक डॉ. आर.के. सिंह ने बताया कि तीनों अस्पताल संचालकों के विरूद्ध थाने पर तहरीर दिया गया है। चिकित्साधीक्षक की तहरीर पर पुलिस मुकदमा दर्ज किया है।
जनपद के सभी विकास खण्डों में फर्जी अस्पताल संचालित हो रहे हैं जहां मरीजों का इलाज करने के बहाने मौत बांटी जा रही है। अप्रशिक्षित डाक्टर मरीजों की जान से खेल रहे हैं। सारे प्रयोग वे मरीजों पर कर रहे हैं। आश्चर्य की बात ये है कि बगैर शिकायत के प्रशासन खुद इसे सज्ञान नही लेता। अंदरखाने से मिल रही जानकारी की माने तो विभागीय अफसरों का ऐसे अस्पतालों को संरक्षण प्राप्त है लेकिन जब पानी सिर से ऊपर चला जाता है तो प्रशासन डंडा चलाने को मजबूर हो जाता है।
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