प्रतापगढ़! प्यार में वार किसी भी दशा में स्वीकार्य नहीं होना चाहिए, इसके लिए महिलाओं के साथ साथ पुरुषों को भी संवेदित होना जरूरी है. उक्त विचार तरुण चेतना द्वारा पट्टी में आयोजित 02 दिवसीय महिला हिंसा विरोधी प्रशिक्षण कार्यशाला में एक्शन एड की पूर्व स्टेट मैनेजर गुरजीत कौर ने व्यक्त किया.
नारीसंघ लीडरों व स्वयंसेवकों की घरेलू महिला हिंसा पर आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यशाला में सुश्री कौर ने कहा कि 2005 में ही घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम बन गया परन्तु 50 प्रतिशत से ज्यादा महिलायें आज भी इस कानून से अनजान हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह विडंबना है कि भारतीय समाज में जैसे-जैसे स्वतंत्रता और आधुनिकता का विस्तार हुआ, वैसे-वैसे महिलाओं के प्रति संकीर्णता का भाव बढ़ा है. प्राचीन समाज ही नहीं आधुनिक समाज की दृष्टि में भी महिलाएं मात्र औरत हैं और उन्हें थोपी व गढ़ी-बुनी गयी तथाकथित नैतिकता की परिधि से बाहर नहीं आना चाहिए. इसी मानसिकता का घातक परिणाम है कि महिलाओं के प्रति छेड़छाड़, बलात्कार, यातनाएं, अनैतिक व्यापार, दहेज हत्या तथा यौन उत्पीड़न जैसे अपराधों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है.
इस अवसर पर तरुण चेतना के निदेशक नसीम अंसारी ने महिला हिंसा के आकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि आमतौर पर महिला हिंसा के कारणों में अशिक्षा को भी जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन विडंबना है कि संपूर्ण साक्षरता के लिए जाना जाने वाला राज्य केरल में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं. श्री अंसारी ने बताया कि यूनिसेफ की हालिया रिपोर्ट ‘हिडेन इन प्लेन साइट’ से उजागर हुआ है कि भारत में 15 साल से 19 साल की उम्र वाली 34 फीसद विवाहित महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने अपने पति या साथी के हाथों शारीरिक या यौन हिंसा झेली हैं. इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 15 साल से 19 साल तक की उम्र वाली 77 फीसद महिलाएं कम से कम एक बार अपने पति या साथी के द्वारा यौन संबंध बनाने या अन्य किसी यौन क्रिया में जबरदस्ती का शिकार हुई हैं. इसी तरह 15 साल से 19 साल की उम्र वाली लगभग 21 फीसद महिलाएं 15 साल की उम्र से ही हिंसा झेली हैं. 15 साल से 19 साल के उम्र समूह की 41 फीसद लड़कियों ने 15 साल की उम्र से अपनी मां या सौतेली मां के हाथों शारीरिक हिंसा झेली हैं जबकि 18 फीसद ने अपने पिता या सौतेले पिता के हाथों शारीरिक हिंसा झेली है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिन लड़कियों की शादी नहीं हुई, उनके साथ शारीरिक हिंसा करने वालों में पारिवारिक सदस्य, मित्र, जान-पहचान के व्यक्ति और शिक्षक थे.
इस अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक मुन्नी बेगम ने बताया कि तरुण चेतना द्वारा आगामी 25 नवम्बर से 10 दिसंबर तक महिला हिंसा विरोधी पखवारा मनाया जा रहा है जिसमें बाल विवाह पर आधारित “मर्जी बिना शादी नहीं” अभियान चलाया जायेगा. कार्यक्रम में हकीम अंसारी, शिव कुमारी तिवारी, अच्छे लाल बिन्द, रीना यादव, मो० समीम, सरोजा सिंह सहित नारीसंघ की लीडरों ने अनपेड यानी घर के कामों में पुरुषों की भागीदारी बढाने की आवश्यकता जताई I
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