अमरजीत सिंह
अयोध्या : राम और काम एक साथ संभव नही है। उपरोक्त उदगार तहसील क्षेत्र के कोरो राघवपुर में आयोजित की जा रही श्रीमद् भागवत कथा में नैमिषारण्य से पधारे पूज्य संत वेद व्यास महाराज ने श्रोताओं को बताया।कथा में श्री राम जन्म और श्री कृष्ण जन्म की विस्तृत व्याख्या करते हुए लोगों को जीवन जीने की शैली एवं काम,क्रोध,लोभ,मोह से कैसे मुक्ति मिले अनेक प्रकार की कथाओं के दृष्टान्त के माध्यम से बताया।भक्त प्रह्लाद एवं ध्रुव की कथाओं को सुनाते हुए उपस्थित लोगों को भक्ति मार्ग का साधारण रास्ता बताया कि कैसे भगवान आपको गृहस्थ जीवन में भी मिल सकते हैं। कथा प्रसंग में बताया कि "आराम की तलब है तो एक काम कर ; आ राम की शरण में और राम राम कर" बताया कि अगर जीवन में आराम चाहते है जीवन में विश्राम चाहते है तो राम के चरित्रों का अनुकरण करना होगा। भगवान राम के जीवन चरित्र से हमें सीख मिलती है कि कैसे जीना है। प्रातःकाल में उठकर राम जी अपने माता पिता के चरण स्पर्श करते हैं। और उनसे आज्ञा लेकर अपना काम शुरू करते है। जिसके जीवन में धर्म नहीं उससे बड़ा मुर्ख और अज्ञानी कोई नहीं है। जब हम धर्म की रक्षा करते है तो धर्म हमारी रक्षा करता है। कथा व्यास ने कहा कि जीवन ज्यादा मिले या कम आयु का मिले। लेकिन जीवन में हरी नाम का होना आवश्यक है। कथा के दौरान सैकड़ो की संख्या में मौजूद महिला और पुरुष श्रोता श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। इस दौरान आयोजक शीतला प्रसाद मिश्र रमेश मिश्र दिलीप त्रिपाठी आशा त्रिपाठी सुरेश मिश्र,राम सुभावन मिश्र, सहित तमाम लोग शामिल रहे।
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