अखिलेश्वर तिवारी
आपसी प्रेम, भाईचारा, सौहार्द तथा भारतीय संस्कृति की पहचान होता है मेला
बलरामपुर।। जनपद बलरामपुर में एक दर्जन से अधिक स्थानों पर आज कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेलों का आयोजन किया गया । भोर होते ही नदियों में स्नान करने के लिए लोग पहुंच गए थे । नदियों तथा सरोवर में स्नान करने की परंपरा काफी पुरानी है। इसी अवसर पर नदियों के तटों पर मेलों का आयोजन किया जाता है। जिले में दर्जनभर से अधिक स्थानों पर पारंपरिक मेलों का आयोजन किया गया। जानकारों का मानना है कि तमाम तीर त्योहारों पर आयोजित होने वाले मेलों से भारतीय संस्कृति बरकरार रहती है तथा आपसी भाईचारा प्रेम व सौहार्द को बढ़ावा मिलता है। आज के समय में मेला का आयोजन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है ।
भारतीय संस्कृति में अलग-अलग समय पर अलग-अलग महीनों में पड़ने वाले तीज तथा त्योहारों के अवसर पर मेलों का आयोजन किए जाने की परंपरा काफी पुरानी है । मेलों के माध्यम से लोग एक दूसरे से एक स्थान पर मिलते हैं । तरह-तरह की दुकाने मेलों में पहुंचती है जिससे एक ही स्थान पर सभी आवश्यक सामानों की उपलब्धता भी होती है। लोग अपनी आवश्यकता के अनुसार सभी सामानों तथा पसंदीदा खाद्य सामग्रियों की खरीदारी भी मेलों में करते हैं । पाश्चात्य सभ्यता के बीच दबती जा रही भारतीय संस्कृति की पहचान भी इन्हीं मेलों से उजागर होती है । तरह-तरह के वेशभूषा भाषा व परम्परा के लोग एक स्थान पर एकत्रित होते हैं ।
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