सुनील उपाध्याय
बस्ती जिले मे जिस तरीके से सूबे की चरमराती स्वास्थ्य स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने में सुबे की सरकार विफल है फलतः लेखपालों को प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण देने का अभियान चलाया जा रहा है | सामान्य प्रशिक्षण के आधार पर आशा बहू को प्रसव जैसे कार्य में लगाया गया है वही सरकारी डॉक्टर व कर्मचारी अस्पताल आते नहीं बस्ती जनपद के हरैया विधानसभा काशीपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात डॉक्टर को वहां की जनता पहचानती तक नहीं जिसका पर्दाफाश समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय कर चुके हैं फलतःअधिकांश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के सहारे चल रहा है सरकार उन पर कार्रवाई करने के बजाय झोलाछाप डॉक्टर पर कार्रवाई का फरमान जारी करती है| जिला अधिकारी बस्ती ने तो 1 सप्ताह के अंदर झोलाछाप डॉक्टरों से जनपद को मुक्त करने की बात कही है ग्रामीण स्वास्थ्य सेवक वेलफेयर ऐसोशिएसन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. प्रेम त्रिपाठी का कहना है कि पहले सरकार अपने चिकित्सकों व कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करें व जनसंख्या के आधार पर चिकित्सा कर्मियों की नियुक्ति करे जब तक ऐसा नहीं होता है झोलाछाप डॉक्टरों की दुकान बंद करने के बजाय प्राथमिक स्वास्थ्य कार्य का प्रशिक्षण देते हुए उन्हें ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा देने की व्यवस्था बनाई जाय यदि ऐसा नहीं होता व जिला प्रशासन का दमनात्मक कार्रवाई नहीं रुकता तो हम प्रशासन के कार्रवाई का पुरजोर विरोध करेंगे|
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