रिपोर्ट:सैय्यद सनाउद्दीन, इसौली
इसौली,सुल्तानपुर। बल्दीराय तहसील के पूरे रिसाल वदारिया में वीरांगना झलकारी बाई कोरी के जयंती समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आर०के० दोहरे ने झलकारीबाई के जीवन पर प्रकाश डाला,विशिष्ट अतिथि डॉ एस० के वर्मा ने आजादी में झलकारीबाई के योगदान को गिनाया बताया कि आजादी की लड़ाई में झलकारी बाई (२२ नवंबर को झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की नियमित सेना में, महिला शाखा दुर्गा दल की सेनापति थीं। वे लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी थीं इस कारण शत्रु को धोखा देने के लिए वे रानी के वेश में भी युद्ध करती थीं। अपने अंतिम समय में भी वे रानी के वेश में युद्ध करते हुए वे अंग्रेज़ों के हाथों पकड़ी गयीं और रानी को किले से भाग निकलने का अवसर मिल गया। उन्होंने प्रथम स्वाधीनता संग्राम में झाँसी की रानी के साथ ब्रिटिश सेना के विरुद्ध अद्भुत वीरता से लड़ते हुए ब्रिटिश सेना के कई हमलों को विफल किया था। यदि लक्ष्मीबाई के सेनानायकों में से एक ने उनके साथ विश्वासघात न किया होता तो झांसी का किला ब्रिटिश सेना के लिए प्राय: अभेद्य था। कार्यक्रम की अध्यक्षता बीही निंदूरा प्रधान श्रीपाल पासी नें किया इस मौके पर डा० अजय पासी,अजीत कुमार, माता फेर प्रेमनाथ मस्तराम,जगन्नाथ बोद्ध,राम मिलन मास्टर,साहब दीन कोरी,रमेश कुमार,राजेश कुमार,शोभनाथ कोरी,कैलाश कोरी,नीरज कोरी सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
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