■ देर रात्रि तक चले नतिया मुशायरे में शायरो द्वारा दादा मियां की शान में पढ़ी गयी नातो को सुनकर झूम उठे अकीदतमंद
तरीकत हुसैन
लोहरौली,संतकबीरनगर। दुधारा थाना क्षेत्र के सालेपुर में स्थित मखदुमूल आफाक हजरत सैयद शाह मोहम्मद अशरफ शहीद उर्फ दादा मियां के उर्स के दूसरे दिन नातिया मुशायरा की महफिल सजाई गई। शायरों ने उनकी शान में नातिया मुशायरा पढ़ा। इस दौरान क्षेत्रीय एवं देश विदेश से आए जायरीनों ने शायरों द्वारा पढ़े गये नातिया मुशायरा को सुनकर ईमान को तरो ताजा किया। इस दौरान कारी ज़ीशान अली अशरफी ने कुरान करीम की तिलावत कर नातिया मुशायरा का आगाज किया। इस दौरान शायर कामिल अमेठवी ने दरें-ए-पाक दादा मियाँ पे जो आ रहे है,वही जिंदगी का मज़ा पा रहा है,लुटाते है दादा मोहम्मद पाक का सदका जमाना यहाँ हाथ फैला रहा है।तो शायर इशरत कैफी ने हम पे भी अहमदे मुख्तार करम़ फरमाना,आप नाबियों के है सरदार करम़ फरमाना। झांसी से आये शायर सरवर कमाल ने आ रही आज तक सदा मास्जिदो मीनार से यही,दूसरा नहीं कोई इस जहाँन में अब बेलाल आयेगा आदि नातिया शायरी दादा मियां की शान में पढ़कर वहां मौजूद सभी श्रौताओं से खूबवाहावाही बटोरी। इस दौरान सैय्यद हैदर महताब सफीपूरी, नईम राशिद नाज़ प्रतापगढ़ी, सगीर नूरी सर्फ नानपारवी, चन्दन सान्याल आदि शायरों ने देर रात्रि तक चले कार्यक्रम में अपने अपने कलाम पेश कर खूब वाहावाही बटोरी। इस दौरान नातिया मुशायरे की सरपरस्ती सैय्यद राफअत हुसैन अशरफ व निज़ामत वासिफ फारूकी ने किया। इस मौके पर
सैय्यद तारिक हुसैन, सैय्यद मौलाना निजाम अशरफ, आरिफ सिद्दीकी, फैजान अहमद, सफीर अहमद, अतहारूल बारी, जमील, ताज मोहम्मद, करीम अंसारी, शबी अहमद, इमरान कुरैशी आदि लोग मुख्य रूप से मौजूद रहे।
क्या कहते हैं मुरीद
1-मुम्बई से आये हाफिज़ ज़ीशान अली बताते है की मैं पिछले 20 वर्षों से दादा मियाँ के दर पे आ रहा हूँ मेरे पूरे खानदान में कोई हाफिजे कुरान नहीं था दादा मियाँ के करम से हम दो हाफिज़े कुरान हो गये है हमारी हर मांगी मुराद पूरी हो जाती हैं।
2-दादां मिया की मजार पर मै भी लगभग 25 सालो से जियारत करने आता हूं खानकाह पर आने से दिल को सुकुन मिलता हैं तो वही मेरे कारोबार में काफी तरक्की हुई हैं-सुफियान अशरफ-मुम्बई
3-दादा मियां की मजार पर मै करीब 15 वर्षों से परिवार के साथ आ रहा जबसे जियारत का सिलसिला शुरू हुआ हैं पूरे परिवार के लोगो में सुकून व राहत हैं। इससे कब्ल मै और मेरा परिवार काफी परेशानियों में मोत्तला थे। शाकिब इकराम-मुम्बई
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