■ गर्भवती व धात्री महिलाओं तथा दो वर्ष तक के बच्चो को सही पोषण के प्रति जागरूक करने का लक्ष्य
■ ऊपरी आहार पर रहेगा फोकस, धात्री और बच्चों को केन्द्रित करके होंगी प्रतियोगिताएं
आलोक बर्नवाल
संतकबीरनगर। गर्भ में आने से ही कुपोषण के खात्मे को लेकर अब आंगनबाड़ी केंद्रों पर नवंबर से प्रत्येक माह की 10 तारीख को ग्रामीण पोषण दिवस का आयोजन होगा। स्वास्थ्य एवं पोषण के प्रति जागरूकता के दृष्टिकोण से धात्री महिलाओं के लिए प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जाएंगी। राज्य पोषण मिशन ने कुपोषण को दूर करने के लिए यह नई योजना बनाई है । इस अभियान में गर्भवती व धात्री महिलाओं के साथ दो वर्ष तक के बच्चों को लक्षित किया गया है। इसका मुख्य फोकस ऊपरी आहार होगा। ग्रामीण पोषण दिवस पर मातृ समिति की बैठकें भी केंद्रों पर होंगी।
जिला कार्यक्रम अधिकारी विजयश्री ने बताया - कुपोषण का सबसे अधिक प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे व उसके जीवन के पहले हजार दिनों में होता है। ऐसे में बच्चे पर ध्यान नहीं दिया गया तो कुपोषण दूर करना कठिन हो जाता है। दिवस पर स्वास्थ्य एवं पोषण विषयक प्रतियोगिताएं भी होंगी, ताकि गर्भवती एवं छह माह से ऊपर वाली धात्री महिलाओं को अपने स्वास्थ्य एवं बच्चे के लालन-पालन और देखभाल से संबंधित स्वास्थ्य व्यवहारों के प्रति प्रेरित किया जा सके। ग्रामीण पोषण दिवस पर केंद्र पर आने वाली गर्भवती, धात्री महिलाओं, बच्चों और उनके परिवार के सदस्यों के बीच ऊपरी आहार पर चर्चा की जाएगी।
जांच, आईएफए एवं कैल्शियम के सेवन पर मिलेगा सम्मान
डीपीओ ने बताया कि आठ माह की गर्भावस्था पूरी करने वाली महिलाओं ने चार जांच और आयरन फोलिक एसिड की 100 और कैल्शियम की 200 गोलियों का सेवन किया हो और हीमोग्लोबिन 12 ग्राम प्रति डेसी से अधिक वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाएगा। ऐसे ही छह माह से ऊपर वाली धात्री महिलाओं ने शिशु को छ्ह माह तक केवल स्तनपान कराया हो और स्वयं आइएफए और कैल्शियम की गोलियों का सेवन किया उन्हें भी सम्मानित किया जाएगा।
इस महीने 11 को आयोजित होगा कार्यक्रम
ग्रामीण पोषण दिवस हर महीने की 10 तारीख को मनाए जाने का प्रावधान किया गया है। लेकिन अगर 10 को कतिपय कारणों से अवकाश होता है, तो इसे अगली या पिछली तिथि को मनाया जाएगा। चूंकि 10 नवम्बर को रविवार है। इसलिए यह कार्यक्रम 11 नवम्बर को आयोजित किया जाएगा।
बच्चो को प्यार के साथ दे ऊपरी आहार
उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपीटीएसयू) के जिला पोषण विशेषज्ञ अजिथ रामचन्द्रन ने बताया कि छह माह के बाद ऊपरी आहार की शुरुआत करनी चाहिए, लेकिन इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि जो भोजन दे रहे हैं, वह पौष्टिक तथा उसका गाढ़ापन उचित हो। जैसे-जैसे बच्चे की आयु बढ़ती जाये, भोजन की बारंबारता व मात्रा उपयुक्त होनी चाहिए। बच्चे के भोजन में उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, रेशेयुक्त पदार्थ व सूक्ष्म पोषक तत्व की समुचित मात्रा हो। भोजन दिखने में भी आकर्षक होना चाहिए तथा माताओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को आहार खिलाते समय उनका पूरा ध्यान बच्चे पर ही हो। टीवी व मोबाइल देखते हुये खाना नहीं खिलाना चाहिए। ऊपरी आहार में घर में उपलब्ध स्थानीय व मौसमी खाद्य पदार्थों जैसे दाल, चावल, केला, आलू, हरी पत्तेदार सब्जियां, पीले फल व सब्जियां, सूजी तेल या घी का ही उपयोग करना चाहिए। बाजार में उपलब्ध रेडीमेड भोजन से बचना ही चाहिए। कटोरी और चम्मच से खाने की आदत डालनी चाहिए।
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