अमरजीत सिंह
अयोध्या । कुमारगंज क्षेत्र में स्थित पैतृक गांव बिरौली झाम में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस कथा वाचक श्री साध्वी गोपी जी नीशू भरद्वाज ने गोवर्धन पूजा प्रसंग की कथा सुनाती हुई कहा की क्षमा दुनिया का सबसे श्रेष्ठ गुण है । सभी को गलती पर क्षमा माँगना चाहिए और दूसरों को क्षमा भी कर देना चाहिए। जिस प्रकार इन्द्र को अपनी गलती का जब एहसास हुआ और क्षमा याचना की तब भगवान श्रीकृष्ण ने क्षमा कर दिया।कथा व्यास ने बताया है कि भगवान श्रीकृष्ण नंद बाबा के पास गए और पूछा, मैं देखता हूं आप कई दिनों से किसी यज्ञ की तैयारी कर रहे हैं। यह यज्ञ कौन सा है ? और इसे करने पर क्या लाभ मिलता है। नंद बाबा ने बताया कि यह यज्ञ भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए है। यदि हम यह यज्ञ नहीं करेंगे तो इंद्र नाराज हो जाएंगे और वो बारिश नहीं करेंगे। उनकी कृपा दृष्टि के लिए यह यज्ञ जरूरी है।नंद बाबा की बात सुनकर भगवान श्रीकृष्ण बोले, प्राणी अपने कर्म के अनुसार पैदा होता है और अपने कर्म के अनुसार ही मृत्यु प्राप्त होती है। अपने कर्मों के अनुसार ही उसे सुख, दुःख, मंगल, अमंगल और भय को भोगता है। इस प्रकार सभी प्राणी अपने कर्मों को भोगते हैं। तो इंद्र की क्या आवश्यकता?नंद बाबा बोले, कृष्ण तुम्हारी बात से हम सभी सहमत हैं। तब श्रीकृष्ण बोले, हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। दरअसल भगवान श्रीकृष्ण इंद्र का अहंकार खत्म करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने ये रणनीति बनाई।लेकिन लोगों के सामने यह समस्या आ गई कि गोवर्धन महाराज को अन्न कैसे अर्पित करें। तब श्रीकृष्ण, अपने देवस्वरूप में प्रकट होकर बोले, भक्तों मै ही गिरिराज हूं। मुझे ही भोजन अर्पित करो। में उन्हें स्वीकार करूंगा। इस तरह सभी ने गोवर्धन की पूजा आराधना की।
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