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अयोध्या में मंदिरों की संपत्ति पर कब्जा करने वालों को नही बख्शा जाएगा: महन्त जनमेजयशरण


वासुदेव यादव 
अयोध्या। विश्व प्रसिद्ध श्री रामनगरी अयोध्या के मठ मंदिरों के सुरक्षा को लेकर संत धर्माचार्यों ने अब कमर कस ली है। अब यहां पर मंदिरों की संपत्ति कब्जा करने वालों की खैर नहीं। बकायदा संतो ने बैठक करके एक अखिल भारतीय विरक्त संत परिषद का गठन किया। अखिल भारतीय विरक्त संत परिषद की आज एक आवश्यक बैठक परिषद के अध्यक्ष महंत सुरेश दास जी के मंदिर दिगंबर अखाड़ा में आयोजित किया गया। 
 इस बैठक की अध्यक्षता रामनगरी के प्रसिद्ध पीठ श्री दशरथ राजमहल बड़ा स्थान के बिंदुगाद्याचार्य स्वामी श्री देवेंद्र प्रसादाचार्य जी महाराज व बैठक का संचालन जगद्गुरु व सुप्रसिद्ध कथवाचक डा0 स्वामी राघवाचार्य जी महराज ने किया।
 इस बैठक को सम्बोधित करते हुए रसिक परम्परा की मूलपीठ श्री जानकीघाट बड़ा स्थान के रसिपीठाधीश्वर महंत व श्री रामजन्मभूमि मन्दिर निर्माण न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष महन्त जनमेजय शरण जी ने प्रस्ताव रखतें हुए कहा कि अखिल भारतीय विरक्त संत परिषद का खाता राष्ट्रीयकृत बैंक सेन्ट्रल बैंक की शाखा अयोध्या में अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष के सयुंक्त हस्ताक्षर से करने की बात कही, तो दूसरा प्रस्ताव परिषद के कोषाध्यक्ष जगद्गुरु डा0 स्वामी राघवाचार्य जी ने कहा कि परिषद में संतो को जोड़ने की मुहिम चलानी चाहिए। संतो से निर्धारित सदस्यता शुल्क लेकर परिषद का सदस्य बनाया जाना चाहिए। बैठक में तीसरा प्रस्ताव महंत अवध बिहारी दास उर्फ अर्जुनदास जी ने रखते हुए कहा कि जो भी संत परिषद से जुड़े वो निर्विवादित साफ व निर्मल छवि का हो। इस दौरान सन्त सेवी व समाजसेवी सन्तोष कुमार मिश्र ने सभी सन्तो महंतो का स्वागत सम्मान किया।
 इस बैठक में मुख्य रूप से महंत बृजमोहन दास उपाध्यक्ष, महामंत्री बने लक्ष्मण किलाधीश मैथिली रमण शरण, महंत वैदेही बल्लभ शरण, महंत रामशरण दास,महंत सीताराम दास,दशरथ राजमहल बड़ा स्थान में बिंदुगाद्याचार्य स्वामी श्री देवेंद्र प्रसादाचार्य जी महाराज के कृपापात्र शिष्य रामभूषण दास कृपालु जी, महंत माधव दास,महंत भरतदास, नागा रामलखन दास व महंत अंजनी कुमार शरण आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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