आलोक बर्नवाल
संतकबीरनगर। भारत के राष्ट्रपिता नव राष्ट्र के निर्माता एवं भाग्यविधाता महात्मा गांधी एक ऐसे अनूठे व्यक्ति थे जिनके बारे में नाटककार बर्नार्ड शा ने उचित ही कहा था कि आने वाली पीढ़ियां बड़ी मुश्किल से विश्वास कर पाएंगे कि कभी संसार में ऐसा व्यक्ति भी हुआ होगा। वे सत्य, अहिंसा और मानवता के पुजारी थे उन महापुरुषों में से थे। जो इतिहास की रचना किया करते थे।
विश्व में अहिंसा के प्रतीक पुरुष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी त्याग और बलिदान की मूर्ति से सादा जीवन और उच्च विचार उनका आदर्श था और एक भारतीय जनमानस में सदैव प्रेरणा के स्रोत रहेंगे अहिंसा और सादगी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के व्यक्तित्व के प्रमुख अलंकार थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सादगी, सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश की आजादी के आंदोलन में अपनी ऐतिहासिक और निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने स्वालंबन के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी और ग्राम स्वराज के साथ-साथ सुशासन और स्वराज का भी मार्ग दिखाया। गांधीवाद के चार प्रमुख आयाम माने जाते हैं सत्य ,अहिंसा, स्वालंबन और ट्रस्टीशिप।"वे सत्यभाषी थे और उनका कहना था विश्व के सभी धर्म भले ही और चीजों में अंतर रखते हो लेकिन सभी इस बात पर एकमत हैं कि दुनिया में कुछ नहीं बस सत्य जीवित रहता है"बापू जितने साधारण थे उनका खान-पान भी उतना ही सादा था। महात्मा गांधी का जीवन बहुत ही सात्विक था। आज हमें गांधीजी का सादा जीवन उच्च विचार का मंत्र अपनाने की आवश्यकता है। आज के वर्तमान में बारूद के ढेर पर बैठी दुनिया को गांधी का सत्य और अहिंसा का नारा ही बचा सकता है। उनके द्वारा हमेशा न्याय और नीति की बात कही गई है उन्होंने सत्य अहिंसा और सद्भभावना की शिक्षा दी जो आज और ज्यादा प्रासंगिक हो गई है। उन्होंने स्वच्छता के प्रति पूरे समाज को आगाह किया। गांधी जयंती असल में गांधी जी के गुणगान का अवसर नहीं है। यह गांधी को उनकी संपूर्णता में पहचानने का और फिर हिम्मत हो तो उन्हें अंगीकार करने का वक्त है। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था ।उनका जन्म 2 अक्टूबर 18 सो 69 ईस्वी को गुजरात काठियावाड़ प्रांत में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता राजकोट रियासत के दीवान थे। उनकी माता पुतलीबाई धार्मिक विचारों वाली सरल सीधी महिला थी। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर तथा राजकोट में हुई 18 वर्ष की अवस्था में यहां से मैट्रिक की परीक्षा पास करके वैल्सट्री पढ़ने के लिए इंग्लैंड गए उनका विवाह 13 वर्ष की अवस्था में ही कस्तूरबा से हो गया था जब वह बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे तो उनकी माता का स्नेहा आंचल उनके सिर से उठ चुका था।संजोग बस वकालत करते समय एक गुजराती व्यापारी का मुकदमा निपटाने के लिए गांधीजी को दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां जाकर उन्होंने गोरो द्वारा भारतीयों के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार को देखा वहां पर गोरो ने उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया उन्होंने निडरता के साथ गोरों के अत्याचारों का विरोध किया जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा अंत में उन्हें इसमें सफलता मिली। सन 1915 ई.मे दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने पर उन्होंने स्वतंत्रता के लिए अनेकों कार्यक्रमों में भाग लिया उन्होंने अंग्रेजों के रोलेट एक्ट का विरोध किया संपूर्ण राष्ट्र ने उनका साथ दिया स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उन्होंने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाया वह अनेक बार जेल भी गये। उन्होंने सत्याग्रह भी किए बिहार का नील सत्याग्रह दांडी यात्रा या नमक सत्याग्रह व खेड़ा का किसान सत्याग्रह गांधीजी के जीवन के प्रमुख सत्याग्रह गांधी जी ने भारतीयों पर स्वदेशी अपनाने के लिए जोर डाला उन्होंने सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन चलाया गांधी जी के अथक प्रयत्नों से 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ गांधी जी भारत को राम राज्य के रूप में देखना चाहते थे गांधीजी पूछताछ में विश्वास नहीं रखते थे। उनका सारा जीवन अछूतों द्वार ग्राम सुधार नारी शिक्षा और हिंदू मुस्लिम एकता के लिए संघर्ष करने में भी था 30 जनवरी सन 1948 को दिल्ली की एक प्रार्थना सभा में जाते समय एक हत्यारे नाथूराम गोडसे ने गांधी जी पर गोलियां चला दी उन्होंने वहीं पर हे राम कहते हुए अपने प्राण त्याग दिए गांधीजी मरकर भी अमर है। यह सब बाते अखिल भारतीय मद्धेशिया वैश्य समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ लालचंद्र मद्धेशिया द्वारा कही गई।
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