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आरबीएसके टीमें कुष्ठ एवं टीबी रोग का भी इलाज कराएंगी


■ अभी तक केवल 38 प्रकार की बीमारियों से पीडि़तों का ही कराती थीं इलाज
■ 2025 तक टीबी को जड़ से समाप्‍त करने में शुरुआती बच्‍चों की जांच जरुरी

आलोक बर्नवाल
संतकबीरनगर। स्‍कूलों तथा आंगनबाड़ी केन्‍द्रों में बच्‍चों का स्‍वास्‍थ्‍य परीक्षण करके बीमार बच्‍चों का निशुल्‍क इलाज कराने वाली राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम की टीमें अब टीबी और कुष्‍ठ रोग से पीडि़त बच्‍चों की भी पहचान करेंगी। पहचान करने के बाद इनका निर्धारित केन्‍द्रो पर उचित तथा निशुल्‍क इलाज कराया जाएगा। वर्ष 2025 तक टीबी को भारत में जड़ से समाप्‍त करने की दिशा में यह एक बहुत ही महत्‍वपूर्ण निर्णय है।
सीएमओ डॉ हरगोविन्‍द सिंह ने बताया कि पहले टीम के सदस्‍यों के द्वारा कुल 38 प्रकार के रोगों को देखा जाता था। लेकिन अब टीबी और कुष्‍ठ रोग के लक्षणों की भी पहचान बच्‍चों के अन्‍दर की जाएगी। टीबी को भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक जड़ से समाप्‍त करने का संकल्‍प लिया है। ऐसी स्थिति में यह एक महत्‍वपूर्ण कदम है। बच्‍चों के अन्‍दर से जब रोग समाप्‍त होगा तभी उसे जड़ से समाप्‍त माना जाएगा। यह एक संक्रामक रोग है और संक्रमण के द्वारा फैलता है। वहीं कुष्‍ठ रोग भी संक्रमण के जरिए फैलता है। इसलिए इसपर विशेष ध्‍यान देने के निर्देश मिले हैं। जिले में कुल 9 ब्‍लाकों में 18 टीमें काम कर रही हैं। इन टीमों को यह निर्देश दिए गए हैं कि वे इन रोगों की भी जांच वे करें। इसके लिए उन्‍हें जरुरी प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है। आगे से जो टीमें स्‍कूलों में जाएंगी वह इन रोगों की भी जांच करेंगी।

कुष्ठ रोग के लक्षण

जिला कुष्‍ठ रोग अधिकारी डॉ वी पी पाण्‍डेय बताते हैं कि शरीर में किसी भी प्रकार के दाग धब्बे में सुन्नपन है, तो संभवत: वह कुष्ठ का लक्षण हो सकता है। तंत्रिका तंत्र के कुष्ठ द्वारा प्रभावित होने पर संबंधित अंग काम करना बंद कर देते हैं। हाथ-पैरों में विकलांगता आ जाती है। यह संक्रमण से फैलता है।

यह है क्षय रोग के लक्षण

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एस डी ओझा बताते हैं कि अगर बच्चे को दो हफ्ते से ज्यादा खांसी, महीनों तक बुखार रहे, रात में बेवजह पसीना आए और बच्‍चे का वजन लगातार घट रहा है तो यह टीबी का लक्षण हो सकता है। यह सक्रमण के द्वारा फैलने वाला रोग है, इसलिए समय पर पहचान आवश्‍यक है।

आरबीएसके टीम के 67 सदस्य हुए प्रशिक्षित

राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के डीईआईसी मैनेजर पिण्‍टू कुमार बताते हैं कि टीबी और कुष्‍ठ रोग से पीडि़त बच्‍चों की पहचान तथा इलाज को लेकर जिले की आरबीएसके टीम के 67 सदस्‍यों को सीएमओ डॉ हरगोविन्‍द सिंह व एसीएमओ आरसीएच डॉ मोहन झा के निर्देशन में जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एसडी ओझा, जिला कुष्‍ठ रोग अधिकारी डॉ वी पी पाण्‍डेय की टीम ने प्रशिक्षित किया। इन अधिकारियों ने टीम को टीबी व कुष्‍ठ रोग के लक्षण के साथ ही उसके उपचार की प्रक्रिया भी बताई।

अब तक केवल 38 रोगों का ही होता था इलाज

राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के अन्‍तर्गत अभी तक न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट,क्लैप फुट, जन्मजात मोतियाबीन, जन्मजात गूंगापन, जन्मजात हृदय रोग, रेटीना दोष, डाउन सिन्ड्रोम, कूल्हे का खिसकना एवं क्लैप पैलट, कुपोषण, विटामिन सी की कमी, दांतो की बीमारियों समेत 38 प्रकार के रोगों की खोज करने के साथ ही बीमारियों के इलाज की व्‍यवस्‍था की जाती थी। 

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