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तपस्वी छावनी में हुआ बेटी सम्मान रक्षा महायज्ञ


वासुदेव यादव 
अयाेध्या 29 सितम्बर 2019। रामनगरी की आचार्य पीठ तपस्वी छावनी, रामघाट में महन्त परमहंसदास दास के संयाेजन में रविवार को बेटी सम्मान रक्षा महायज्ञ का आयाेजन किया गया। यज्ञशाला में परमहंस समेत अन्य सन्ताें ने आहुतियां डाली। इस माैके पर महन्त परमहंसदास ने पत्रकाराें से बातचीत करते हुए कहाकि आज शारदीय नवरात्रि के अवसर पर आश्रम में बेटी सम्मान रक्षा महायज्ञ किया गया। वेदाें में लिखा गया है कि प्रत्येक कन्या नवदुर्गा के समान हैं और उनकी दुर्गा के रूप में पूजा हाेती है। जाे हमारे वैदिक काल से अनादिकालीन परम्परा रही है। लेकिन दुर्भाग्य है कि जब बेटियां दरिंदगी का शिकार, दहेज कम मिलने के कारण ससुराल में जिन्दा जला दी जाती हैं। प्रताड़ित, अपमानित और उपेक्षित की जाती है तब बड़ा ही दुख हाेता है। जहां बेटियां दुर्गा के समान हैं उन्हीं बेटियों काे इस समाज में अपमानित, उपेक्षित व प्रताड़ित किया जाता है। वेद दुनिया की सर्वप्रथम धार्मिक पुस्तक है। जाे हिन्दू संस्कृति व सनातन धर्म का अभिन्न अंग है। वेदाें में लिखा गया है कि साै बेटाें के समान एक बेटी हाेती है। दुर्भाग्य है कि आज लाेग बेटाें काे पढ़ायेंगे। लेकिन बेटी को कहेंगे कि उसे क्या पढ़ाए? बेटी ताे शादी के बाद दूसरे के घर चली जाएगी। आज जहां सरकार बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओं अभियान चला रही है। वहीं देखा जा रहा है कि समाज में केवल २० प्रतिशत बेटियां ही सामान्य जीवन व्यतीत कर रही हैं। ८० प्रतिशत बेटियां आज भी अपमानित और उपेक्षित हैं। यहां तक कई बेटियां ऐसी हैं। जाे चाहकर भी पढ़ाई पूरी नही कर पा रही हैं। बेटियों के जीवन में यह जाे जहर घुला हुआ है। वह कहीं न कहीं किसी पाश्चात्य से प्रभावित है और भारतीय संस्कृति से लाेग दिग्भ्रमित हाे गए हैं। हमें अपनी संस्कृति तथा वेदाें की ओर लाैटना पड़ेगा। महन्त ने कहाकि भारतीय संस्कृति में नारी का सम्मान सर्वाेपरि है। केन्द्र सरकार काे राममन्दिर के साथ-साथ बेटी सम्मान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। जब तक हमारे देश में एक भी बेटी उपेक्षित व दुखी है। तब तक हमारी संस्कृति कहीं न कहीं से कलंकित है। जिस दिन बेटी का सम्मान सुरक्षित हाेगा। उस दिन भारत विश्व गुरू बन जायेगा। इसी उद्देश्य के साथ सभी लोग नवरात्रि में बेटी का दुर्गा की तरह पूजा करें। बेटी के सम्मान की रक्षा हाेती रहे। यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। बेटी का सम्मान हाे, उसेे पढ़ाया-लिखाया जाए। सरकार प्रत्येक बेटी काे उसकी याेग्यता के आधार पर जीविका दे। कम से कम नारियाें की बेराेजगारी दूर हाेगी। उन्होंने कहाकि नारियाें का अपमान देश के लिए बहुत बड़ा कलंक है। जहां नारी का आंसु गिरता है ताे निश्चित रूप से वह संस्कृति कभी उत्थान नही कर सकती है। हमारे ऋग्वेद में लिखा गया है साै बेटाें के बराबर एक बेटी हाेती है।

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