वासुदेव यादव
अयाेध्या। श्री राम नगरी की प्रतिष्ठित पीठ तपस्वी छावनी, रामघाट में गुरूवार काे आयाेजित सनातन धर्म संसद में राम मन्दिर का मुद्दा छाया रहा। सभी सन्त-धर्माचार्याें ने एक स्वर में कहा कि जहां रामलला विराजमान, वही स्थान हमारी राम जन्मभूमि है। जिसकाे हाइकाेर्ट भी मान चुका है और अपना निर्णय दिया है। सन्ताें ने राममन्दिर निर्माण में आने वाली बाधाओं को दूर करने लिए सामूहिक हनुमान चालीसा का भी सस्वर पाठ किया, जिससे मन्दिर का निर्माण अतिशीघ्र हाे सके। सर्वप्रथम धर्मसंसद का शुभारम्भ भगवान श्रीराम के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। इसके संयोजक तपस्वी छावनी के महन्त परमहँसदास जी महाराज रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व सांसद रामविलासदास वेदान्ती ने कहा कि जहां रामलला विराजमान हैं। वह स्थान रामजन्मभूमि है। इसकाे हाइकाेर्ट ने भी अपने निर्णय में सुना चुका है। अब कहीं न कहीं सुप्रीम काेर्ट काे भी विश्वास हाे चुका है कि जिस स्थान पर भगवान रामलला विराजमान हैं। वह स्थान रामजन्मभूमि ही है। अब काेेर्ट ने भी कह दिया कि १८ अक्टूबर तक हम मन्दिर मसले की सुनवाई करेंगे और नवम्बर में उसका फैसला दे देंगे। वेदान्ती ने कहाकि वाल्मीकीय रामायण के अनुसार उस स्थान पर १ कराेड़ ८१ लाख ७ हजार ६५ वर्ष से रामलला का कब्जा है। काेर्ट काे हिन्दू जनभावनाओं का आदर करते हुए राममन्दिर के पक्ष में फैसला सुनाना चाहिए। मुझे पूर्ण विश्वास है सुप्रीम काेर्ट नवम्बर माह में मंदिर के पक्ष में फैसला दे देगा। हिन्दू हृदय सम्राट महन्त स्वामी परमहंसदास महराज ने राममन्दिर के लिए आमरण-अनशन कर देश में साेये हुए हिन्दुओं को जगाने का काम किया। धर्मसंसद के आयाेजक महन्त परमहंसदास ने कहाकि गाै, गंगा और भगवान श्रीराम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रयास कर रहे हैं। अब रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए समय बहुत ही अनुकूल है। रामकाज के लिए हनुमानजी से बड़ा काेई नही हाे सकता है। इस किए गए सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ से मंदिर निर्माण में आने वाली विघ्न-बाधा दूर हाेगी और राममन्दिर काे गति मिलेगी।
जबकि जगद्गुरू स्वामी रामदिनेशाचार्य ने कहाकि भगवान राम का भव्य मंदिर अयाेध्या में बने। इसकी परिकल्पना प्रत्येक सनातन धर्मी की है। साधु का साधन त्याग, पूजा और बल है। बजरंगबली से हम सब प्रार्थना करें कि मन्दिर निर्माण में आने वाली बाधा जल्द से जल्द दूर हो। महात्माओं के शाश्वत सत्य प्रभु श्रीराम और राममन्दिर है। इसलिए उनके मंदिर का निर्माण शीघ्र-अतिशीघ्र प्रारम्भ हो। इस कार्यक्रम का संचालन महन्त रामशरण दास रामायणी ने किया। धर्मसंसद में मुख्य रूप से बड़ाभक्तमाल के महन्त काैशलकिशाेर दास, निर्माेही अखाड़ा महन्त दिनेन्द्र दास, रामलला के मुख्य अर्चक सत्येन्द्र दास, माैनी माझा महन्त रामप्रिया दास, महन्त रामचन्द्र दास, करपात्री महाराज, संत कृपालु रामभूषण, महन्त सीताराम दास त्यागी, महन्त प्रेमशंकर दास रामायणी, स्वामी आनन्द दास मुम्बई, श्यामासदन महन्त संतगाेपाल दास, वशिष्ठ भवन महन्त राघवेश वेदान्ती, आचार्य सत्येन्द्र दास वेदान्ती, महन्त हरिभजन दास, महन्त माधवदास रामायणी, आचार्य शशिकान्त दास, नारायण मिश्र, नीरज शास्त्री, आचार्य वरूण दास, महन्त रामलाेचन शास्त्री, महन्त उत्तम दास, संतदास, हाइकाेर्ट के अधिवक्ता वीरेश जी, संजय सिंह, चन्द्रहास दीक्षित, सुरेन्द्र दास आदि समेत हजाराें की संख्या में संत-धर्माचार्य और रामभक्त उपस्थित रहे।
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