अखिलेश्वर तिवारी
बलरामपुर।। गुरुवार को जिला कृषि रक्षा अधिकारी द्वारा गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे किसानों को फसलों कीटों व रोगों से बचाने के लिये कीटनाशकों के बारे मे जानकारी दी गयी। साथ ही कीटनाशकों के प्रयोग की मात्रा के बारे मे बताया गया।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी सलीमद्दीन ने बताया कि मौसम के उतार-चढ़ाव के चलते धान की फसल में भूरा फुदका एवं गन्धी कीट के प्रकोप होने की सम्भावना बढ़ गयी है। भूरा फुदका कीट पत्तियो एवं बाली का रस चूस कर पौधे को नष्ट कर देते है। इस कीट के प्रौढ़ भूरे रंग के पंखयुक्त तथा शिशु भुरे रंग पंख विहीन होते है। इस कीट के बचाओ के लिये 2.5 लीटर या ब्यूबेरिरया बैसियाना 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 300लीटर पानी में मिलाकर सुरक्षात्मक छिड़काव कराये। इस कीट के दिखने पर तत्काल रसायन एसीटाामिप्रिड 20 प्रतिशत एस0पी0 100 ग्राम अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस0एल0 125 मिली0 या थायोमेथोक्साम 25 प्रतिशत डब्ल्यू0 जी0 ग्राम या ऐसिफेट 75प्रतिशत एस0पी0 800 ग्राम या पाइमेट्रीजोन 50 प्रतिशत डब्ल्यू0जी0 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करायें। छिड़काव के समय खेत से पानी निकाल दें एवं किसी भी नाइट्रोजन्स उर्वरक का प्रयोग न करें। कीट दिखने पर लापरवाही कतई न करें, क्योंकि ये कीट 56 घंटे के अन्दर फसल को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है। उन्होने किसानों से कहा कि इस समय अपने खेत की सतत् निगरानी करते हुये रोग देखने पर अपने नजदीकी कृषि रक्षा इकाई पर संपर्क करें । अथवा सहभागी फसल निगरानी नियंत्रण प्रणाली के व्हाट्सएप नम्बर 9452247111या 9452257111 पर इसकी सूचना देकर तत्काल समाधान/सलाह प्राप्त करें।
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