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खरगूपुर का पोस्टमास्टर आधारकार्ड बनाने में कर रहा मनमानी, पीएम की मंशा पर फेर रहा पानी




आधार की अनिवार्यता के चलते तमाम योजनाओं का लाभ नहीं पा रहे ग्रामीण
 शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बना रहे जांच अधिकारी
ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। डाकघर का पखवारा भर तक दौड़ लगाने के बाद भी आधार कार्ड बनाने में टाल मटोल किया जाता रहा। इसकी शिकायत डाक निदेशक नई दिल्ली से की गयी। इस पर आरोपों की तहकीकात के लिए गोण्डा के डाक अधीक्षक ने विभाग के एसडीआई कर्नलगंज को जांच सौंपी। शिकायतकर्ता ने जांच अधिकारी पर आरोपी सहायक पोस्ट मास्टर के पक्ष में बयान देने व शिकायत वापस लेने का दबाव बनाने का आरोप लगाया है। जांच अधिकारी पर यह भी आरोप है कि उसकी बात न मानने पर बिना जांच किये ही वह वापस चले गए।
   
निदेशक, डाकघर नयी दिल्ली के पोर्टल पर की गई शिकायत
मामला डाकघर खरगूपुर का है। यहां के निवासी रवि प्रताप यादव अपने बच्चों का आधार कार्ड बनवाने के लिए डाकघर कई बार गये, जहां पर कार्यरत सहायक पोस्टमास्टर सत्य नारायण सोनकर द्वारा आधार कार्ड बनाने में टाल मटोल किया जाता रहा और पीड़ित के साथ दुर्व्यवहार भी किया गया। यही नहीं, पीड़ित का आरोप है कि उक्त सहायक पोस्ट मास्टर द्वारा मशीन खराब होने की बात कहने के साथ ही यह भी कहा गया कि आधार बनाने वाली मशीन को दिल्ली प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा जायेगा।प्रधानमंत्री के विदेश यात्रा से वापस आने के बाद वही आधार मशीन को बनाएंगे। तभी आधार कार्ड बन पाएगा। उक्त पोस्ट मास्टर की तानाशाही की शिकायत पीड़ित रवि यादव ने डाक निदेशक नई दिल्ली से पोर्टल के माध्यम से कर जांच व कार्रवाई की मांग की। उक्त शिकायत के बाद जांच अधीक्षक गोण्डा ने कर्नलगंज क्षेत्र के एसडीओ अरुण कुमार को आरोपों की जांच कर रिपोर्ट मांगी थी। इस पर जांच अधिकारी शिकायतकर्ता के पास पहुंचे, लेकिन वह आरोपी के पक्ष में बयान देने व शिकायत वापस लेने का दबाव बनाने लगे। इस पर शिकायतकर्ता के सहमत न होने पर बिना जांच किये ही वह बैरंग वापस चले गए।
      बताया जाता है कि खरगूपुर डाकघर पर अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत यहां तैनात सहायक पोस्टमास्टर द्वारा चरितार्थ किया जा रहा है। वह दबंगई और तानाशाही पूर्ण रवैया अपना रहा है जिससे डाकखाने पर जाने से लोग कतराते हैं। आधार कार्ड बनाने में भी उसके द्वारा अजब गजब खेल किया जाता है। सहायक पोस्ट मास्टर पर आधार कार्ड बनाने के लिए वसूली का भी आरोप लगाया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि इसे विभाग के अधिकारियों का भी संरक्षण प्राप्त है। यही वजह है कि निदेशक के आदेश के बाद भी जांच की कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया तथा जांच अधिकारी द्वारा शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया गया।
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