सुनील गिरी
हापुड़ :भारत को किसानों का देश कहा जाता है और जय जवान जय किसान का नारा भी हमारे देश में जोर शोर से दिया जाता है। तो वही किसान को अन्नदाता भी कहा जाता है क्योंकि किसान मेहनत से अन्न उत्पन्न करता है लेकिन उसी देश में जब कर्ज ना दे पाने और अपनी फसल का पैसा ना मिलने से परेशान किसान अपने ही खेत पर जाकरआत्महत्या करता है तो सरकार व स्थानीय प्रशासन पर सवाल उठना भी लाजमी है क्योंकि सरकार किसानों के लिए तरह तरह की योजना तो लेकर आती है लेकिन क्या वास्तविकता में उसका लाभ सभी किसानों को मिल पाता भी है ।
देश की राजधानी दिल्ली से सटे हापुड़ के कोतवाली गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र के गांव पावटी में कर्ज से परेशान किसान सेंसरपाल ने आत्महत्या कर ली । मृतक किसान के परिवार के अनुसार मृतक किसान पर बैंक का करीब 5 लाख का कर्ज था । मृतक ने अपने व अपने पिता के नाम पर भी अपनी बेटी की शादी के लिये कर्ज ले रखा था लेकिन शुगर मिल द्वारा गन्ने का पेमेंट ना दिये जाने के कारण मृतक किसान बैंक का कर्ज नही चुका पा रहा था जिससे मृतक किसान काफी परेशान था । इसी परेशानी के चलते मृतक किसान ने अपने खेत पर जाकर पेड़ से लटककर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। कर्जे से परेशान किसान की आत्महत्या की खबर फैलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गयी और शव को कब्जे में लेकर पीएम के लिए भेज दिया और मामले की जाँच में जुट गयी। तो वही उपजिलाधिकारी भी किसान की आत्महत्या के कारणों की जांच की बात कर रहे है और किसान के परिवार को किस तरह की आर्थिक सहायता मिल सकती है ये भी बता रहे है तो वही म्रतक किसान के गन्ने का बकाया 5 लाख रुपए के करीब सिंभावली शुगर मिल पर बताया जा रहा है जो किसान को नही मिला अगर किसान को समय रहते उसके गन्ने का पेमेंट मिल जाता तो म्रतक किसान आज अपने पूरे परिवार के साथ होता ।
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