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चार दिवसीय मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न


रिपोर्ट:पीर मोहम्मद



मशरूम  उत्पादन से अधिक आय पा सकते हैं किसान
डा.रवि प्रकाश 



कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि शिवकुमार सिंह ने बताई खेती की उपयोगिता

 
सुल्तानपुर। मशरूम का प्रयोग सब्‍जी के रूप में किया जाता है। इसे खुम्‍बी भी कहते है। इसकी कई प्रजातियाँ है ।अन्‍य खुम्बियों की तुलना में ढीगरी सरलता से उगाई जाने वाली प्रजाति है। ढींगरी खुम्‍बी खाने में स्‍वादिष्‍ट, सुगन्धि्त , मुलायम तथा पोषक तत्‍वों से भरपूर होती है। इसमें  वसा तथा शर्करा कम होने के कारण यह मोटापे, मधुमेह तथा रक्‍तचाप से पीड़ित व्‍यक्तियों के लिए आर्दश आहार है ।व्‍यवसायिक रूप से तीन प्रकार की खुम्‍बी उगाई जाती है। बटन खुम्‍बी, ढींगरी  खुम्‍बी तथा धानपुआल खुम्‍बी। तीनों  प्रकार की खुम्‍बी को किसी भी हवादार कमरे या सेड में आसानी से उगाया जा सकता है।ढींगरी खुम्‍बी की खेती मौसम के अनुसार अलग-अलग भागों मे की जाती है। आचार्य  नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौधौगिक विश्व विधालय कुमारगंज अयोध्या  द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र द्वितीय  बरासिन सुलतानपुर के तत्वधान मे मशरूम उत्पादन पर चार द्विवसीय व्यसायिक प्रशिक्षण का आयोजन  28-31 अगस्त तक किया गया. केन्द्र के  अध्यक्ष   प्रो.रविप्रकाश मौर्य ने उद्घघाटन करते हुए बताया कि शकाहारियो के लिए मशरुम बहुत उपयोगी है।इसमे प्रोटीन 2.7 8 से 3.94 प्रतिशत, वसा 0.25 से 0.65 रेशा 0.09से  1.67,कार्बोहाईडेट 5,30 ,से 6.28 खनीज लवण .097से 1.26 प्रतिशत पाया जाता है।  ने  ढींगरी मशरूम उगाने की व्यहारिक ज्ञान देते हुए कहा कि ढींगरी मशरूम  की फसल के लिए 20 से 28 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता  होती है।धान की पु्वाल या गेहूँ के भूसे पर असानी से उगाया जा सकता है। सामान्‍यत: 1.5 किलोग्राम सूखे भूसे  या 6 किलोग्राम गीले भूसे से लगभग एक किलोग्राम ताजी मशरूम  का उत्पादन होता है।




के.वी.के अम्वेडकर नगर के मशरूम  वैज्ञानिक डा. प्रदीप कुमार ने बटन मशरूम पर चर्चा करते हुए बताया कि  इसके लिये कम्पोस्ट तैयार कियाजाता  है जिसके लिये  गेहूँ का भूसा,मुर्गी की खाद, चोकर ,यूरिया,सिगल सुपर फास्फेट, पोटाश, जिप्सम एवं नीम की खली  की आवश्यकता होती है ।एक कुन्टल खाद मे 700 ग्राम स्पान (मशरूम बीज)लगता है। जिससे 15-20 किग्रा.मशरूम  तैयार हो जाता है। अम्बेकर नगर के ही वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.रामजीत ने मशरूम के उत्पाद  एवं उसके बिक्रय पर चर्चा किया।केन्द्र के वैज्ञानिक डा.अशोक कुमार सिंह ने मशरूम उत्पादन पर चर्चा किया तथा बताया कि 25 वर्गमीटर के कच्चे मकान या झोपडी मे भी मशरूम उत्पादन किया जा सकता है.श्री गौरीशंकर उद्यान वैज्ञानिक ने सावधानियो पर प्रकाश डाला ।डा.मौर्य ने मशरूम मे लगने वालेे कीट बीमारियों से बचाने के उपाय  बताया। डा.रेखा ने मशरूम के विभिन व्यंजन जैसे सब्जी ,सुप, आचार आदि बनाने की विधियाँ बताई। केन्द्र की नव नियुक्त कम्युटर प्रोग्रामर श्रीमती शशि प्रभा अनान , अंशुलिपिक कु० दीपिका विश्वकर्मा प्रशिक्षण मे धनपतगंज,कुड़वार,बल्दीराय दूबेपुर भदैया ,कादीपुर  ब्लाक के विभिन गावो के साथ-साध अयोध्या एवं अम्बेडकर नगर सहित 38 कृषको ने भाग लिया।श्री सहित  कृषक ,कृषक महिलाओ,नवयुवको,एवंनवयुवतियो ने भाग लिया।

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