रिपोर्ट:सुहैल आलम
सुल्तानपुर।जिला उद्यान विभाग द्वारा पान की खेती पर वैज्ञानिक तकनीकी गोष्ठी का आयोजन बरुआ दक्षिणी गाँव लम्भुआ ब्लाक में किया गया। गोष्ठी में के वी के ब्रासिन केन्द्र के उद्यान वैज्ञानिक गौरी शंकर वर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश का पान की पैदावार में खासा स्थान है ।महोबा का पान की खेती में प्रथम स्थान है। महोबा में पान की खेती चंदेल शासकों शुरू की थी ।मैं पान की खेती पर शोध और किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए 1980 -81 में पान प्रयोग और प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की गई ।
पान बैरेज पान की खेती बॉडी कैसे बनाएं पानी को संबंधी पौधा है इसकी बढ़वार नाम ठंडे और छायादार स्थानों में अच्छी होती है ।पान की खेती के लिए लाल मिट्टी और वह मिट्टी अच्छी रहती है जिस इलाके में पान की खेती करना हो वहां कम से कम 15 सेंटीमीटर मोटी तालाब की मिट्टी डालनी चाहिए ।जहां पर बैराज बनाएं जल निकाल अच्छा होना चाहिए।के वी के वैज्ञानिक एस पी मिश्रा ने बताया कि जमीन की तैयारी बैराज बनाने से पहले खेत की जुताई मई-जून में मिट्टी भरने वाले हादसे करनी चाहिए इतनी धूप में मिट्टी में मौजूद हानिकारक के लिए मकोड़े खत्म हो जाए हमारे देश में पान की प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं ।जिसमें बनारसी सोफिया बांग्ला कपूरी मीठा सांची कलकतिया मघई रामटेक आज प्रजातियां पाई जाती हैं ।उद्यान विभाग के मोहम्मद फाजिल ने बताया कि पान की खेती में सिंचाई महत्वपूर्ण हैं को इस खेती में स्पेन्कलर से सिचाईं ज्यादा लाभ कारी साबित होगी और पानी की बचत भी होगी और पौध से पौध की दूरी 30 - 30 सेंटीमीटर या 45- 45 सेमी रख सकते हैं।डा रवि प्रकाश मोर्या ने पान में लगने वाले रोगों के बारे मे बताया।जिला उद्यान अधिकारी ने उद्यान विभाग की योजनाओं के बारे मे जानकारी दी आगे बताया किसान सहफसली खेती के बारे मे जानकारी दी ।इसको करके अपनी आय बढ़ा सकते है इस कार्यक्रम में ब्लाक प्रमुख जगदीश चौरसिया, संजय पाल, उद्यान विभाग के पवन सिंह,नन्द लाल यादव सहित आदि किसान उपस्थिति रहे।
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