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कृष्ण सुदामा की मित्रता सब लिए है उपयोगी :राधिका शास्त्री


अमरजीत सिंह 
अयोध्या  ।विकास खंड क्षेत्र के बलीपुर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष में श्री कृष्ण संस्थान सेवा बल्लीपुर चमैला द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें व अंतिम दिन कथा वाचिका राधिका शास्त्री द्वारा कृष्ण सुदामा की मित्रता तथा कृष्ण पुत्र प्रद्युम्न की कथा का वर्णन किया।जिसे सुनकर कथा प्रागंण में उपस्थित श्रोता झूमने उठे।

 कथा वाचिका राधिका शास्त्री ने कथा में भगवान श्री कृष्ण और गरीब सुदामा के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता में कोई छोटा बड़ा नहीं होता।मित्रता तो केवल दिलों का एक संबंध है। जो प्रेम के बंधन में बंध कर भाव विभोर कर देता है।सच्ची मित्रता वही होती है जो दुख और संकट के समय निःस्वार्थ भाव से साथ निभाये।जहां भगवान श्री कृष्ण ने मित्र सुदामा के आने की खबर मिलते ही राजसिंहासन  छोड़कर पैदल ही मित्र से मिलने दौड़कर मित्रों के प्रति निःस्वार्थ भाव से ह्रदय की कोमलता का एहसास कराया। वहीं दूसरी तरफ अत्याचारियों असुरों का वध करने मैं कठोर हृदय का संदेश दिया।       श्री कृष्ण ने 2 दिन के बालक प्रद्युम्न को रसायन विद्या से किशोरावस्था में लाकर तारकासुर का वध करवाया। जिससे धर्म की रक्षा हो सके किंतु जहां आवश्यकता पड़ी वहां ऋषि-मुनियों द्वारा यादव कुल में जन्म लेने के बावजूद भी यदुवंशियों का संघार भी कराया। इसलिए मनुष्य को जाति पात ईर्ष्या द्वेष आदि विकारों से मुक्त होकर अपने समाज और धर्म की रक्षा करना चाहिए।

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