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दो सितम्बर से शुरू होगा तीसरा विशेष संचारी रोग नियंत्रण व दूसरा दस्तक अभियान


अखिलेश्वर तिवारी
बलरामपुर  ।। एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिन्ड्रोम (एईएस) और जापानी इंसेफ्लाइटिस यानि दिमागी बुखार ऐसी घातक बीमारी है, जिससे रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। यदि रोगी इलाज के बाद ठीक भी हो जाए तो अधिकांश में दिमागी व शारीरिक विकलांगता आ जाती ळें इसके लिए 13 विभाग मिलकर माइक्रोप्लान तैयार कर लें अधिक से अधिक लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक कर बचाव के बारे में बताया जाए। दो सितम्बर से शुरू हो रहे अभियान में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता माइक्रोप्लान के तहत घर घर जाकर दस्तक देंगी।

                     जानकारी के अनुसार कलेक्ट्रेट सभागार में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत दो सितम्बर से शुरू होने वाले तृतीय संचारी रोग नियंत्रण व दूसरे दस्तक अभियान को सफल बनाने के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय समिति की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक को सम्बोधित करते हुए अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. कमाल अशरफ ने कहा कि प्रत्येक प्रमुख स्थान पर प्रचार प्रसार के लिए होर्डिंग, बैनर, पोस्टर आदि लगाए जाएं। आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर घर जाकर लोगों के घर दस्तक देकर उनको बीमारी और बचाव के बारे में जागरूक करें। एएनएम टीम के साथ या अकेले निर्धारित लक्ष्य को पूरा करेंगी। इससे दिमागी बुखार सहित अन्य बुखार पर बचाव टीम सीधा वार करेगी ताकि हर परिवार सुरक्षित हो सके। उन्होंने बताया कि दस्तक अभियान के इस तीसरे चरण में आशा बहू 30 सितम्बर तक पखवारा समाप्त होने के बाद भी प्रत्येक परिवार की निगरानी करेंगी और बुखार से पीड़ित होने वाले रोगी को तत्काल सीएचसी व पीएचसी पर पहुंचायेगी ताकि उन्हें समुचित इलाज मिल सके। बुखार के मामले में देरी होने पर सम्बंधित जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एसीएमओ से अभियान से संबंधित सभी अधिकारियों को निर्देश दिये कि 31 अगस्त तक सभी विभाग माइक्रोप्लान बनाकर स्वास्थ्य विभाग भेजें जिससे विभागों में समन्वय स्थापित कर अभियान को सफल बनाया जा सके। संचारी रोग के नोडल अधिकारी डा. ए.के. पाण्डेय ने सभी अधिकारियों को 23 बिंदुओं की गाइडलाइन उपलब्ध करवाते हुए कहा कि पिछले बार की तरह इस बार भी देवीपाटन मंडल को भी इस अभियान में शामिल किया गया है। पूरे यूपी में 30 प्रतिशत एईएस के केस सिर्फ देवी पाटन मंडल में है। इन बीमारियों के लक्षण जेई के जैसे होते है लेकिन पता नही चल पाता कि वास्तव में यह जेई है तो उन बीमारियों को एईएस श्रेणी में रखा जाता है, इसीलिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि सभी विभाग एक साथ मिलकर अभियान के तहत संचारी रोगों से मुक्त कराने में सहयोग प्रदान करें। बैठक के दौरान जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. अरूण कुमार, जिला मलेरिया अधिकारी मंजुला आनंद, डबलूएचओ के एसएमओ उपान्त राव डोगरे, यूनीसेफ डीएमसी प्रवीण सक्सेना, डा. श्याम जी श्रीवास्तव, दिलीप सहित सभी विभागों के प्रतिनिधि, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी व अधीक्षक मौजूद रहे।

13 विभागों को तैयार करना है माइक्रोप्लान

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, नगर पालिका व नगर पंचायत, पंचायती राज विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, पशु पालन विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग, माध्यमिक शिक्षा विभाग, द्विव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, समाज कल्याण विभाग, कृषि विभाग, सिंचाई विभाग व सूचना विभाग को माइक्रोप्लान तैयार करना है जिसमें से डीपीआरओ, आईसीडीएस, डीआईओएस व बेसिक शिक्षा विभाग का माइक्रोप्लान नही मिल सका है जिसपर उन्हे शीघ्र माइक्रोप्लान तैयार कर भेजने के निर्देश दिये गये हैं।

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