ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। पन्द्रह दिन पूर्व दिनदहाड़े बैंक मित्र को गोली मारकर की गयी पौने चार लाख रूपये की लूट का खुलासा करने का दावा करते हुए पुलिस ने नगदी समेत घटना में प्रयुक्त मोटरसाइकिल, तमंचा व कारतूस की बरामदगी तो दिखा दी, लेकिन जिन दो युवकों को गिरफ्तार किया गया, उनकी पहचान सार्वजनिक नहीं की गई ! मीडिया में जब लूट के आरोप में गिरफ्तार किए गए युवकों का नाम और पता नहीं आया, तो लोगों के मन में कई सवाल उमड़ने घुमड़ने लगे। बताते हैं कि ऐसा पहली बार हुआ है जब लूट जैसी बड़ी घटना का खुलासा करने के दौरान आरोपियों की पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है।
बताते चलें कि गत 13 अगस्त को वजीरगंज थाना क्षेत्र के नगवा गांंव मोड़ के पास बैंक मित्र सुमित कुमार तिवारी पुत्र केशरी कुमार तिवारी को गोली मारकर दिनदहाड़े 3 लाख 80 हजार रूपये लूट लिए गये थे। गुरूवार को पुलिस अधीक्षक राज करन नैयर ने पत्रकार वार्ता के दौरान दो आरोपियों को मीडिया के सामने प्रस्तुत किया। एसपी ने अपनी टीम की इस कामयाबी का बखान तो बहुत किया, परन्तु जब मीडिया कर्मियों द्वारा उनसे पूछा गया कि आरोपियों की पहचान यानी उनका नाम और पता सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है? तो उन्होंने यह कहकर पुलिस की कार्रवाई को सही साबित करने की कोशिश की कि आगे की विवेचना के लिए इनके नाम और पते को गोपनीय रखा गया है।
यहां यह भी बताना आवश्यक है कि आज से पहले गोण्डा पुलिस द्वारा कभी भी इस तरह मीडिया के सामने पेश किए गए आरोपियों के नाम और पते को गोपनीय नहीं रखा गया। सवाल उठ रहा है कि आखिर क्या कारण है कि जिले के युवा और तेजतर्रार एसपी आर. के. नैयर को इस तरह की एक नयी परम्परा की नींव रखनी पड़ी? अपनी कार्यशैली के मशहूर जिले की पुलिस और स्वाट टीम यह खेल इसलिए खेल रही हो कि उसे इस तरह से गिरफ्तारी में धनउगाही में सहूलियत रहती हो। चल रही चर्चाओं को और बल उस समय मिला जब आमतौर पर मीडिया द्वारा पूछे जाने पर आरोपी अपनी बात को मीडिया के सामने रखने का प्रयास करते हैं, लेकिन इस मामले में आरोपियों ने जैसे मीडिया के सामने कुछ न बोलने की कमस खा रखी हो, जबकि लगभग पन्द्रह मिनट तक कई मीडियाकर्मी आरोपियों के सामने कैमरे लिए दौडते रहे और उनसे कुछ बोलने की बात कहते रहे, किन्तु आरोपियों ने अपनी जुबान तक नहीें खोली। लूट के आरोपियों की खामोशी से भी इस बात को बल मिलता है कि कहीं पुलिस ने गुडवर्क दिखाने की जल्दबाजी में बेगुनाहों को तो बलि का बकरा नहीं बना दिया और अब अपनी पीठ अपने ही हाथों थपथपा रही है?
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