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पेट के कीड़े ‘‘हजम’’ कर रहे बच्चों की सेहत, ‘‘एल्बेंडाजोल’’ से होगा कीड़े का खात्मा


अखिलेश्वर तिवारी
कृमि मुक्ति दिवस पर विशेष
बलरामपुर ।। भरपूर खाना खाने और खेलकूद के बाद भी बच्चों की सेहत सुधारने के बजाए बिगड़ रही है, तो संभव है पोषक आहार पेट के कीड़े हजम कर रहे हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 80 प्रतिशत बच्चे पेट के कीड़े के संक्रमण से ग्रसित हैं। ऐसे में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक ने डीएम और सीएमओ को पत्र जारी कर 29 अगस्त को कृमि मुक्ति दिवस के तौर पर मनाने का निर्देश दिया है।

                 मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. घनश्याम सिंह ने बुधवार को बताया कि 29 अगस्त को कृमि मुक्ति दिवस तथा अभियान के दौरान अगर कोई दवा खाने से छूट जाएगा तो 30 से 4 सितम्बर तक ‘‘माॅप अप वीक’’ चलाया जाएगा जिसमें हर बच्चे को एल्बेन्डाजाॅल की गोलियां खिलाईं जाएगीं। सीएमओ ने सभी माता पिता जिनके बच्चे 1 वर्ष से 19 वर्ष तक हैं उनसे अपील की है कि होने वाले कार्यक्रम में अपने बच्चों को स्कूलों व आंगनवाड़ी केंद्रों पर दवा खिलाकर कार्यक्रम को सफल बनाएं। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अरूण कुमार ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र, सरकारी और निजी स्कूल, आईटीआई, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, मदरसा, पॉलिटेक्निक के स्टूडेंट समेत जिले के 7 लाख 76 हजार बच्चों को पेट के कीड़े निकालने की गोली एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी। उन्होने कहा कि इसका कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है। यह दवा बच्चों को खाली पेट किसी भी दशा में नहीं देनी है। सभी जगहों पर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्चे एल्वेन्डाजाॅल की गोलियां हर हाल में खा लें। बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुनील गुप्ता के अनुसार कृमि संक्रमण से 01 से 17 वर्ष तक के बच्चे और किशोर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, इससे उनका शारीरिक और बौद्धिक विकास बाधित होने की आशंका होती है। पेट के कीड़े पोषण और हीमोग्लोबिन स्तर को भी प्रभावित करते हैं। इसे देखते हुए शासन ने वर्ष में दो बार कृमि मुक्ति कार्यक्रम चलाने का निर्णय लिया है। 

घर नहीं ले जा सकेंगे दवा 

                 निदेशक ने सख्त हिदायत दी है कि किसी को भी दवा घर ले जाने के लिए न दी जाए। बच्चों और किशोरों को अध्यापक व स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने गोली खिलाएं। जो बच्चे बीमार हैं या पहले से ही कृमि नाशक दवा का सेवन कर रहे हो, उन्हें यह दवा नहीं खिलाने के निर्देश हैं। 

यह बनाई गई है टीम 

-स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ग्राम पंचायत स्तर पर बेसिक शिक्षा विभाग, बाल विकास विभागतथा पंचायजीराज विभाग से समन्वय से तैयार सूची के माध्यम से बच्चों को दवा देंगे। जनपद व ब्लाक स्तरीय अधिकारियों को नोडल नामित किया गया है जिनके द्वारा सघन मानीटरिंग की जाएगी। 

क्या हैं कृमि के लक्षण

-कृमि के लक्षण उसके रहने के स्थान पर निर्भर करते हैं। लक्षण एकाएक दिखने लगते हैं या कभी-कभी लक्षण दिखाई देने में 20 वर्षों से ज्यादा का समय लग जाता है। मलद्वार और योनि के आसपास खुजली, नींद न आना, बिस्तर में पेशाब और पेट दर्द पिनकृमि संक्रमण के लक्षण हैं। त्वचा-उभार, पीव लिए हुए फफोले, चेहरे पर बहुत ज्यादा सूजन, विशेषकर आंखों के आसपास एलर्जी संबंधी प्रतिक्रिया-त्वचा लाल हो जाना, त्वचा में खुजली और मलद्वार के चारों ओर खुजली जठर फ्लूकः बढ़ी हुई नाजुक जठर, ज्वर, पेट दर्द, डायरिया, त्वचा पीला पड़ना लसिका युक्त-सूजे हुए हाथी के पाव जैसे या अंडग्रंथि।

कृमि मुक्ति के लिए प्रभावी दवा है ‘एल्बेंडाजोल’
-कृमि संक्रमण से निपटने के लिए ‘एल्बेंडाजोल’ एक प्रभावी दवा है। कृमि मुक्ति की दवा का दुष्प्रभाव बहुत कम है लेकिन जिन बच्चों में कृमि की मात्रा ज्यादा होती है, वे उनींदापन, पेट दर्द, दस्त, डायरिया और थकान का अनुभव कर सकते हैं। कृमि से मुक्ति पाने के साथ साथ स्वास्थ्य और साफ-सफाई की अच्छी आदतों से बच्चे के साथ-साथ समुदाय भी कृमि संक्रमण से सुरक्षित रखा जा सकता है। एल्बेंडाजोल टेबलेट खाकर अपने शरीर में होने वाली खून की कमी एनीमिया व कुपोषण से भी बचा जा सकता है।

ऐसे होता है कृमि

                 मलीय दूषित जल के सम्पर्क में आने, बीमारी की स्थिति, मांस या मछली को कच्चा या अधपका खाना, पशुओं को बीमारी के वातावरण में पालना, कीड़ों व चूहों से प्रदूषण, रोगी और कमजोर व्यक्ति, अधिक मच्छरों व मक्खियों का होना, खेल के मैदान जहां बच्चे मिट्टी के संपर्क में आते हों और वहां कुछ खाते हों। ऐसी स्थिति में कृमि का संक्रमण हो सकता है।

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