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सरयू नदी में बहकर दुबौलिया पहुचे महाराष्ट्र के मगन ने बताया कि वह.............!


सुनील उपाध्याय 
बस्ती:‘जाको राखे साईयां, मार सके न कोय’ यह कहावत महाराष्ट्र के जलगांव निवासी मगन नरायन पाटिल पर सटीक बैठती है। वह फिसल  कर सरयू नदी की धारा में बह गए। 45 किमी तक सरयू नदी उन्हें अपने गोद में लिए बहाती रही और दो धाराओं के बीच बस्ती में देवारा गंगबरार गांव के पास कटान में एक डाली उनका सहारा बनी। शौच के लिए आए ग्रामीणों ने अधेड़  को पानी में फंसा देखा तो नाव के सहारे बाहर निकाला। 

दुबौलिया थाने के देवारा गंगबरार में शुक्रवार की शाम गांव के राजेन्द्र और बाबूराम शौच के लिए गए थे। इन लोगों ने देखा कि सरयू की कटान में एक डाल को पकड़े अधेड़ पानी में जूझ रहा है। आनन-फानन में दोनों ने अन्य ग्रामीणों को सूचना दी और नाव लेकर कटान स्थल पर पहुंच अधेड़ को बाहर निकाला। वह ठंड से कांप रहा था। ग्रामीण उसे गांव में लाकर अलाव से गर्मी दिए। अपने घर से कपड़ा व भोजन देकर अधेड़ की स्थित को सामान्य किया। 

हालात सामान्य होने पर बुजुर्ग ने अपना नाम मगन नरायन पाटिल पुत्र नरायन सेधाराम पाटिल निवासी बाबूर खुर्दा जिला जलगांव महाराष्ट्र बताया। मगन ने बताया कि वह अयोध्या में सरयू नदी के किनारे झुके थे कि अनियंत्रित होकर पानी में गिर गए। उसके बाद उन्हें याद नहीं है कि आगे क्या हुआ। कैसे पानी में बहते हुए यहां तक पहुंच गए। भगवान का शुक्र है कि आप लोग पहुंचे और मुझे जीवित निकाल लिया। शनिवार की शाम ग्रामीण मगन नरायन को लेकर दुबौलिया थाने पहुंचे। लेकिन पुलिस ने कोई खासी रुचि नहीं दिखाया। इस पर ग्रामीणों ने चंदा एकत्र करते हुए 750 रुपया मगन को दिए और छावनी में रोडवेज की बस पर बैठा कर अयोध्या के लिए रवाना किया।


सरयू की दो धाराओं के बीच बसा है देवारा गंगबरार।।
बस्ती जिले के माझा का देवारा गंगबरार सरयू नदी की दो धाराओं के बीच बसा है। सरयू का पानी भरा होने के चलते वहां से आना-जाना आसान नहीं होता है। ग्रामीण सरयू की उत्तरी धारा पार कर दुबौलिया की तरफ बाजार में अपने जरूरी सामान लेने आते हैं तो दक्षिण की तरफ धारा पार कर अंबेडकरनगर की बाजार में जाते हैं। गांव में बिजली की सुविधा नहीं है। माझा में होने के चलते गांव में मूलभूत सुविधा नहीं है। बाजार आने पर ग्रामीण अपने मोबाइल आदि को चार्ज करते हैं। 

सामान्य तौर पर गांव में ऐसी मोबाइल रखते हैं जो बैट्री की खपत कम करता हो और देश-दुनिया से संपर्क बना रहे। गांव में एंड्रायड फोन का प्रयोग काफी कम होता है। जिनके पास है वह जरूरत पड़ने पर ऑन करते हैं फिर ऑफ कर लेते हैं। आम तौर पर यहां के निवासी देश-दुनियां से कटे रहते हैं। घटना-दुर्घटना व कोई बड़ी बात होने पर कई घंटे बाद नदी व बाढ़ के पानी से निकल कर मैदान पर आने के बाद ही सूचना मिल पाती है।

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