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जनप्रतिनिधियो के इशारे पर रुदौली तहसील क्षेत्र में तैनाती है सम्भव


अमरजीत सिंह 
अयोध्या । आम जनता द्वारा जातिवाद शब्द का प्रयोग कितना घृणित लगता है । आप सब बेहतर जानते हैं,पर जब यही क्षेत्र के चुने हुए जनप्रतिनिधियों द्वारा बिना कहे क्षेत्र की जनता पर कार्यरूप दिया जाये तो आप कैसा महसूस करेंगें। इसका जवाब आपको जनपद की दो विधानसभाओं में आम रूप से दिखाई पड़ता है। इस संबंध में एक विधानसभा का नाम क्षेत्र विधानसभा में नही बल्कि जिले मे चर्चा का विषय बन चुका है।
          
सूत्रों के मुताबिक रुदौली विधानसभा एक ऐसी विधानसभा है जहां पर किसी निर्दोष को साजिसन फंसाने के लिए कुछ भी सम्भव हो सकता है। इस विधानसभा मे उपनिरीक्षक से लेकर क्षेत्राधिकारी तक एक विशेष जाति यादव की ही तैनाती क्षेत्र मे होने से लोग दबी जुबान विधायक इशारे पर करने की बात चर्चा में है।देखा जाय तो कोतवाल रुदौली विश्व नाथ यादव,मवई कोतवाल चंद्रभान यादव,व क्षेत्राधिकारी डा धर्मेंद्र यादव चौकी प्रभारी शुजागंज सुधाकर यादव,नयागंज राम खेलाडी यादव,सुदामा यादव,रणजीत यादव सहित प्रत्येक थाना में चार से छ यादव उपनिरीक्षक की तैनाती है ।
         
जिसके चलते गलत व गलत को सही ठहराने में मनमाफिक अफसरों की तैनाती आवश्यक बतायीं जाती है ।,ऐसा हम नही भुक्तभोगी कह रहे कि काम तब और आसान होगा जब ऐसे अफसरों की तैनाती जातिवादी तमगे पर आधारित होती है। मवई की जनता खासकर सवर्ण घराने के मृतक विरजन सिंह का परिवार भुगत रहा है। अप्रैल माह में विरजन सिंह की हत्या का कारण जहां राजनैतिक वर्चस्व की लड़ाई का परिणाम माना जा रहा था। वहीं अभी भी इस परिवार का राजनैतिक उत्पीड़न थमने का नाम नही ले रहा है,मजे की बात तो यह कि किसी भी अन्य जनप्रतिनिधियों में इस उत्पीड़न के विरुद्ध आवाज उठाने की हिम्मत नही हो रही है। हो भी कैसे सकती है जब बात खासकर एक ही दल के नेता से सम्बंधित हो। 

अभी 3 दिन पहले मवई में हुए गोली कांड में जहां 13 लोगों को नामजद व 4 अज्ञात के खिलाफ मामला पंजीकृत हुआ। सम्पूर्ण मामले पर नजर डाली जाए तो पूरा मामला ही साजिश के तहत रचित कूटरचना का परिणाम प्रतीत होता है।यहा पर राम सुंदर को गोली मारी गयी,उस कांड में घायल 13 लोगों को गोली लगने के बाद कैसे पहचान पाया। दूसरी बात यह है कि दौड़ाकर गोली मारने की बात कही गयी। 17 लोग एक कार में कैसे सवार होगी जो एक सवालिया प्रसंग हैं प्रत्यक्ष दर्शियो की माना जाय तो घटनास्थल पर कार जाने की जगह तक नही है। तीसरी बात यह भी लोग बताते हैं कि दो नाबालिगों को पुलिस द्वारा पकड़ कर उनका चालान बिना किसी जांच के आधार पर कर दिया गया। 

जिले में अपराधियों की तरह जन प्रतिनिधियों संलिप्त है। जन प्रतिनिधि का एक संगठन काम कर रहा है,जो कहीं किसी के फसने पर एक दूसरे के समर्थन का काम कर दोषी को क्लीनचिट दिलाने का काम करते हैं।ऐसे मे राजू सिंह के मामले में प्रशासन द्वारा निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है,दूध का दूध,पानी का पानी साफ हो जाएगा।

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