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मैं अभी आजाद नहीं


मैं अभी आजाद नहीं

 72 वर्ष हो गए आजादी के,पर मैं अभी आजाद नहीं ।
दर-दर ठोकरें खाती हूं,पर कहीं से मैं आबाद नहीं ।।

बचपन में पिता,जवानी में पति,बुढ़ापे में पुत्र-अधीन रही ।
 कैसा बीता मेंरा ये जीवन,क्या  यहा किसी को मालूम नहीं ।।

बाहर निकल कर नहीं सुरक्षित, घर में भी मैं सुरक्षित नहीं ।
कैसा है मेरा असुरक्षित-जीवन, क्या इस जगत को पता नहीं ।।

करती हूं जीवन भर सब की सेवा,फिर भी मिलता मुझे विश्राम नहीं ।
कैसी है यह देश की आजादी, क्यो कोई भी,बतलाता मुझे अब नहीं ।।

.कहते हैं नारी देवी स्वरूप,  इसको कोई समझता नहीं ।
सबको यहा जन्म देने पर भी, मेरे जीवन का अस्तित्व नहीं ।।

इस अपमानित जीवन से,  अभी सम्पूर्ण-आजादी मुझको मिली नहीं ।
कैसे कह दूं,स्वतंत्रता-दिवस है,  इस धरा पर,जब तक मैं स्वतंत्र नहीं ।।

राष्ट्रीय कवि व लेखनकार आर.के.रस्तोगी  (गुरूग्राम)

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