अखिलेश्वर तिवारी
बलरामपुर ।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जून को राष्ट्रीय जल सरंक्षण एवं संचयन दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया गया है । प्रधानमंत्री के आदेश के क्रम में जनपद बलरामपुर के कई ग्राम सभाओं में जल संरक्षण एवं संचयन विषय पर गोष्ठी श्रमदान एवं अन्य कार्यक्रम आयोजित किए गए।
जल संरक्षण एवं संचयन दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने विकासखण्ड श्रीदत्तगंज के अन्तर्गत ग्राम पंचायत पिपरीकोल्हाई में प्रधानमंत्री जल संचयन अभियान के तहत प्राथमिक विद्यालय पिपरीकोल्हाई से सटे तालाब के जीर्णोद्धार कार्य में श्रम दान कर लोगों को जल संरक्षण हेतु प्रेरित किया व जिलाधिकारी ने प्राथमिक विद्यालय पिपरीकोल्हाई में पौधारोपण कर ग्राम वासियों को जल संरक्षण के लिए जागरूक किया व देश के मा0 प्रधानमंत्री द्वारा सरपंचो को सम्बोधित संदेश को पढ़कर ग्राम वासियों जलसंरक्षण व संचयन की शपथ भी दिलायी। तालाब की जीर्णोद्धार लागत 3 लाख 25 हजार रुपये है व इसमें 1050 मानव रोजगार दिवस सृजन का लक्ष्य रखा गया है।
जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने चैपाल लगाकर ग्रामवासियों की समस्याएं सुनी। ग्राम वासियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्षा का पानी रोकने हेतु ग्राम प्रधान अपने खण्ड विकास अधिकारियों से विचार विमर्श करके मनरेगा के माध्यम से बेहतर तालाब का निमार्ण कर सकते हैं इससे गांव में जल संरक्षण भी होगा तथा स्थानीय मजदूरों को रोजगार भी मुहैया होगा।
उन्होने कहा कि गांव के विकास के लिए देश के मा0 प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रतिबद्ध है तथा गांव के विकास के लिए धन की कोई कमी नही है। उन्होने कहा कि तालाब के अलावा गांव में सामुदायिक भवन या जंहा पर पंचायत भवन नही हैं का भी निर्माण कराया जा सकता है। गांव में भू-जल स्तर में सुधार एवं निकट भविष्य में जलापूर्ति, भूजल स्तर को ऊपर उठाने एवं वर्षा जल संचयन के लिए सभी घरों में वर्षाजल संचयन ढांचा बनाने के लिए प्रधानमंत्री जल संचयन योजना का शुभारम्भ किया गया है।
जल, जीवन के लिये सबसे अहम प्राकृतिक संसाधन है। वैज्ञानिकों के मतानुसार आगामी दशकों में यह विश्व के कई क्षेत्रों में एक गंभीर अभाव की स्थिति में चला जायेगा। यद्यपि जल पृथ्वी में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ है, फिर भी यह समान रूप से वितरित नहीं है। उन्होने कहा कि दुनियाभर में पानी की कमी निम्न कारणों से बढ़ रही है जैसे सूखे, सिंचाई की बढ़ती मांग, औद्योगिक मांग, प्रदूषण, जल संसाधनों के प्रयोग में कमी और जल की व्यर्थ बर्बादी और गैर जिम्मेदाराना रवैया। उन प्रयासों पर जोर देने की आवश्यकता है जो कि सूखे के मौसम में, अधिक से अधिक वर्षाजल को संग्रहित कर सके। स्थानीय स्तर पर वर्षा के पानी का संचयन या संग्रहण को या तो जलाशयों, टैंकों या झीलों में जल को संग्रहित करके रखने के माध्यम से हो सकता है अथवा भूमिगत जल के पुनर्भरण द्वारा किया जा सकता है।
कार्यक्रम में मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डुली ने भी ग्राम पंचायत पिपरीकोल्हाई में तालाब निर्माण में श्रमदान किया व लोगो को जागरूक करते हुये कहा कि बढ़ती हुई घरेलू, औद्योगिक और कृषि से संबंधित कार्यों की मांग की पूर्ति के कारण, पानी की उपलब्ध मात्रा में कमी हो रही है और यह स्थिति भविष्य में और गंभीर हो सकती है। ऊपर से, पिछले कुछ दशकों में देश में सिंचाई का विस्तार करने का प्रयास किया गया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि हमारी जल संपदा का अत्यधिक दोहन हुआ है। हमारे बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण ने पानी की मांग को बढ़ा दिया है। उपरोक्त दिये गये इन कारणों की वजह से देश के कई भागों में जल का भारी अभाव हो गया है। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि हम जल को संरक्षित रखें और उसका दुरुपयोग होने से बचायें।
इस अवसर पर एसडीएम उतरौला अरुण कुमार गौड़, डीडीओ गिरीश चन्द्र पाठक, डी0सी0 मनरेगा महेन्द्र देव, बीडीओ श्रीदत्तगंज एके0 दुबे, ग्राम प्रधान, लोककल्याण मित्र कीर्तिवर्धन पाण्डेय व अन्य लोग उपस्थित रहे।
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