अखिलेश्वर तिवारी
गोंडा ।। जनपद गोंडा के युवा तेज तर्रार नेता माने जाने वाले पूर्व विधायक स्वर्गीय घनश्याम शुक्ला की 15वीं पुण्यतिथि के अवसर पर बाबागंज क्षेत्र के जमुना गंज बाजार में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया । पंडित रामानंद तिवारी की अगुवाई में क्षेत्र के तमाम लोगों ने स्वर्गीय घनश्याम शुक्ला के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की ।
आज ही के दिन 15 वर्ष पूर्व 26 अप्रैल 2004 को घनश्याम शुक्ला की हत्या कर दी गई थी जिसे सड़क हादसा दिखाया गया था । आश्चर्य तो इस बात का है कि यह गुत्थी आज तक नहीं सुलझ सकी है कि घनश्याम शुक्ला की मौत एक हादसा था या हत्या ? घनश्याम शुक्ला भाजपा के तेज तर्रार युवा नेताओं में से थे और वह अटल जी के काफी चाहने वालों में से भी थे । लोकसभा चुनाव के लिए गोंडा से प्रत्याशी बनाए गए थे और एन मतदान के दिन उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में उन्हीं की गाड़ी में मौत हो गई थी जिस पर तमाम तरह के सवाल भी खड़े हुए ।
जांच लंबे समय तक चली परंतु नतीजा शून्य ही रहा । घनश्याम शुक्ला का गोंडा जिले के ब्राह्मण समुदाय में काफी लोकप्रियता थी ऐसा माना जा रहा है कि उनकी लोकप्रियता से कुछ लोगों को समस्याएं भी हो रही थी ।इस समय के विधानसभा क्षेत्र में मेहनौन जो उस समय मुजेहना विधानसभा क्षेत्र के नाम से जानी जाती थी । घनश्याम शुक्ला मुजेहना विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक तथा भाजपा व बसपा की मिली जुली मायावती सरकार में राजस्व मंत्री भी रह चुके थे । वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के गोंडा लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाए गए थे और 26 अप्रैल 2004 मतदान के दिन ही सायंकाल उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में उन्हीं की गाड़ी में लाश पाई गई थी । उस समय यह आरोप लगाए गए थे कि उनकी हत्या की गई है ।
जांच सीबीआई तक गई परंतु नतीजा सामने कुछ नहीं आ सका । गोंडा के एक बड़े कद्दावर नेता के ऊपर भी सवालिया निशान लगाए गए थे जो धीरे धीरे समय की आगोश में समाप्त होते चले गए । उनकी याद आज भी क्षेत्र के लोगों के अंदर बरकरार है । शायद इसीलिए उनकी पत्नी श्रीमती नमिता शुक्ला को क्षेत्र की जनता ने विधायक चुनकर विधानसभा में भेजा था ।नंदिता शुक्ला ने भी अपने पति की तरह ही लोकप्रियता के शिखर को छूने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है ।
श्रद्धांजलि सभा के आयोजक पंडित रामानंद तिवारी ने बताया की यजुर्वेद के चालीसवें अध्याय के पंद्रहवें मंत्र में वेद भगवान ने भी आत्मा की अजरता, अमरता और शरीर के मरणधर्मा होने को स्थापित किया है। यहां यह स्पष्ट हो जाता है कि जीवात्मा मृत्यु से परे है और हमारा मनुष्य का तन अर्थात ईश्वर प्रदत्त साधन ही मरणधर्मा है। मृत्यु पर विजय वास्तव में मृत्यु के डर पर विजय है। एक डरा हुआ कायर व्यक्ति अपने जीवन में सैंकड़ों बार मरता है जबकि निडर साहसी मृत्यु के रहस्य को जानने वाला जीवन में केवल एक बार ही मृत्यु का आलिंगन करता है।
आज उनके पुण्य तिथि पर वैदिक विधान से पूजन-अर्चन एवं शान्ति पाठ करके पुष्पाज्जलि अर्पण करके उनके सुकृति को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यवहार विकाश एवं समरसता के प्रतीक थे घनश्याम शुक्ला । साथ ही उनका जन सेवा जनता के द्वार तक उनका राजनैतिक लक्ष्य था । इस अवसर पर जनार्दन पाण्डेय, वावन मिश्रा, स्वामीनाथ शास्त्री, वी०डी०पाण्डे, योगेन्द्र, शिवनाथ, विनय मालिक व पुत्तन शुक्ल सहित तमाम लोग उपस्थित रहे जिन्होंने स्वर्गीय घनश्याम शुक्ला को श्रद्धांजलि अर्पित की ।
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