देश जो था सोने का और हीरे थे निवासी जहाँ , खो गया ओ देश कहाँ ढूंढ के ओ लाइये ।
सींचा जिसे खून से था देश भक्त प्रेमिओ ने बंटा वही देश कैसे एक फिर बनाइये ?
एक ही था लक्ष्य जहाँ, एक परिवार सभी ,बंटे वही लोग कैसे आज फिर बताइये ?
एक का साहस जो दूसरे की ताकत बना ,ओ ही प्यासे खून के है आज क्यों बताइये?
न्याय और सत्य का था धोता जो ये देश बना ,खो गया है सब कहाँ ?ढूंढ़ के ओ लाइये।
हैवानियत का खौफ है हर गली हर क्षेत्र में ,जी न रहे लोग क्यों बेखौफ हो बताइये ।
न ही गोपी ,कृष्ण यहाँ,देवकी और यशोदा न,
कंस ही है कंस चारो ओर क्यों बताइये ?
ढूंढ़ के ओ न्याय सत्य :लायेगा अब कौन फिर, कटाएगा अब कौन सिर ?आगे उन्हें लाइये ।
रह गया है न्याय ;न ही न्यायालय अब रह गया ,
भ्रष्ट हुआ देश सारा देश को बचाइए ।
भ्रष्ट किया देश को, ओर आतंक फैलाया है जो
ऐसे देश द्रोहियों को देश से भगाइये ।।
भ्रष्ट किया देश को ;और आतंक फैलाया है जो ,
ऐसे देश द्रोहियों को देश से भगाइये ।
अर्चना सिंह
कवयित्री, प्रतापगढ
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