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कवयित्री संध्या चतुर्वेदी की काव्य रचना "हैवानियत"










दिल भर आता है
आँख रोती है
जब कोई मासूम
आबरू खोती है



पाव में पायल
बालों में चिमटी
हाथों में छोटा
सा कंगना भी
शोर करता है।






जब कोई अधेड़
फूल सी नाजुक
बच्ची को नोचता है।



मासूम सी वो 
गुड़िया जाने क्यों
और कैसे हवस
का शिकार होती है।



आँखें भर आती हैं
माँ की दूध की
छाती भी रोती है।



यकीन नहीं होता
मुझे पढ़कर भी
ख़बरों को रोज
कैसे कोई कुचल
सकता है कमजोर
कलियों को इतनी
बर्बरता से की
मानवता शरमाती है



जब दो महीने की
नन्हीं गुड़िया 
लहूलुहान हो जाती है।



फटा कलेजा धरती का
जब डॉक्टर भी
रो जाता है



हाय, फूल सी 
नाजुक चिड़िया
नोच कोई 
खा जाता है।



लिखने में आज तो
कलम भी मेरी रोती है।
यहाँ रोज कोई मासूम 
अपनी आबरू खोती है।।

कवयित्री
संध्या चतुर्वेदी
अहमदाबाद, गुजरात

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