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कवयित्री शारदेय सुषमा श्रीवास्तव की काव्य रचना "पैगाम"











ऐ चांंद जरा पैगाम मेरा,
मेरे दिलवर तक पंहुचा दे,
ये पयाम-ए-दर्द-ए-दिल है,
जरा जाकर उन्हें बता दे।






उनसे कहना तेरी दीवानी,
रो-रोकर फरियाद करे,
बस एक झलक दिखला दे,
दिल ही दिल में याद करे,
ऐ चाँद बड़ा एहसान तेरा,
होगा मुझ पर अब जा रे,
ये पयाम-ए-दर्द-ए-दिल है,
जरा जाकर उन्हें बता दे।





दर्द जुदाई का अब जोगन,
और नहीं सह पायेगी,
इस बार सनम घर ना आये,
तो जीते जी मर जायेगी,
ऐ चाँद तेरा एहसान बड़ा,
होगा मुझ पर अब जा रे,
ये पयाम-ए-दर्द-ए-दिल है,
जरा जाकर उन्हें बता दे।






मिल जाएं जो पिया की बाहें,
चैन से बस सो जाऊँगी,
थकी-थकी आँखें कहती हैं,
अब और नहीं जग पाऊँगी,
ऐ चाँद बड़ा एहसान तेरा,
होगा मुझ पर अब जा रे,
ये पयाम-ए-दर्द-ए-दिल है,
जरा जाकर उन्हें बता दे।






आ जायेंगे पिया जो मेरे,
तेरे दीप जलाऊँगी
करुँगी तेरी पूजा हर दिन,
तेरा भोग लगाऊँगी,
ऐ चाँद तेरा एहसान बड़ा,
होगा मुझ पर अब जा रे,
ये पयाम-ए-दर्द-ए-दिल है,
जरा जाकर उन्हें बता दे।





कवयित्री
शारदेय सुषमा श्रीवास्तव
कानपुर, उत्तर प्रदेश

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