सुनील उपाध्याय
बस्ती । जातिराज पुस्तक लिखकर सुर्खियों में आये आईएएस लक्ष्मीकान्त शुक्ल को उनके प्रथम पुण्य तिथि पर नमन् किया गया। कम्पनीबाग चौराहे के निकट स्थित रासल पुस्तकालय पर अनेक लोगों ने लक्ष्मीकान्त शुक्ल के चित्र पर पुष्पार्चन कर उनके योगदान को रेंखाकित किया।
सवर्ण लिबरेशन फ्रण्ट के राष्ट्रीय संयोजक दीनदयाल त्रिपाठी ने कहा कि लक्ष्मीकान्त शुक्ल ने मेधा संस्था की स्थापना कर जातिवादी आरक्षण के विरूद्ध बिगुल फूंका, उन्हें सच कहने की सजा मिली, तत्कालीन बसपा की सरकार में उन्हें निलम्बित कर दिया गया किन्तु वे हिम्मत नहीं हारे। सामान्य और पिछड़े वर्ग के छात्रों को उच्च शिक्षा में शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति दिलाने के लिये सर्वोच्च न्यायालय तक लडाई लड़कर सफलता हासिल किया। सरकारों को झुकना पड़ा। कहा कि 29 अगस्त 2017 को उनके आकस्मिक निधन से आन्दोलन को धीमा कर दिया किन्तु जितना संभव हो पा रहा है लडाई लड़ी जा रही है। कहा कि वर्तमान सरकार ने शुल्क प्रतिपूर्ति में कटौती कर दिया। इन सवालों को लेकर मेधा और एस.एल.एफ द्वारा संघर्ष जारी है। जातिवादी आरक्षण, एससीएसटी एक्ट की समाप्ति कराना ही स्व0 लक्ष्मीकान्त के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मेधा संस्थापक लक्ष्मीकान्त शुक्ल को उनके पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में कौशल कुमार पाण्डेय, डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ डा. वी.के. वर्मा, उमेश पाण्डेय मुन्ना, कैलाशनाथ शर्मा, यमुना पाण्डेय, नीरज शुक्ल, रामशरण शुक्ल, अंकुर पाण्डेय, अवनीश सिंह, अनिक शुक्ल, प्रणवीर सिंह, जय प्रकाश गोस्वामी, ब्रम्हानन्द पाण्डेय, राहुल शुक्ल, प्रवेश शुक्ल, गिरेश्वर उपाध्याय, अरूण सिंह आदि शामिल रहे।
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