सुनील उपाध्याय
बस्ती । “बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं, तुझे ऐ जिंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं” जैसे गजल और शेर के माध्यम से आम आदमी की जुबान पर छा जाने वाले मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी के 122 वीं जयंती पर प्रेमचन्द साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान और वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति द्वारा मंगलवार को उन्हें याद किया गया।
श्याम प्रकाश शर्मा एडवोकेट ने कहा कि फिराक से पहले शायरी या तो रुमानियत से सराबोर थी या दार्शनिकता से लबरेज, फिराक उसे रोजमर्रा की जिंदगी तक खींच ले आए, उर्दू में जब नई गजल का दौर शुरू हुआ, तो फिराक इस पहल के सबसे बड़े झंडाबरदार बनें। “गालिब अपने युग में आने वाले कई युगों के शायर थे. अपने युग में उन्हें इतना नहीं समझा गया, जितना बाद के युगों में पहचाना गया।
वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला, डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने कहा कि फिराक उन चुनिंदा फनकारों में से एक हैं जो महज शायरी तक महदूद नहीं रहे, वो खूब पढ़े-लिखे आदमी थे, एशिया और यूरोप के मामलों पर गहरी पकड़ रखते थे, उन्होंने मजहबी फलसफों पर भी लिखा, अपने विद्वान होने पर उन्हें फख्र था। ऐसे महान लोगों को बार-बार याद रखने की जरूरत है।
जयन्ती पर आयोजित कार्यक्रम में पं. कमलापति पाण्डेय, आतीश सुल्तानपुरी, मो. वसीम अंसारी, ओम प्रकाशनाथ मिश्र, जगदीश प्रसाद पाण्डेय, बालकृष्ण चौधरी, डा. सत्यदेव त्रिपाठी आदि ने फिराक को नमन् करते हुये कहा कि ऐसी हस्तियां सदियों में पैदा होती हैं। फूलचंद चौधरी, सामइन फारूकी, सागर गोरखपुरी, लालजी पाण्डेय, लालमणि प्रसाद, सुदामा राय, पंकज कुमार सोनी, भागवत प्रसाद श्रीवास्तव, सुमेश्वर प्रसाद यादव, पेशकार मिश्र, अजमत अली, भागवत प्रसाद श्रीवास्तव, लालजी पाण्डेय, सुग्रीव कुमार श्रीवास्तव, दीनानाथ यादव, जगदीश प्रसाद, कृष्ण चन्द्र पाण्डेय, आदि शामिल रहे।
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