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भाई बहनों के प्रेम प्रतीक का त्यौहार है रक्षाबंधन


मोजीम खान









सिंहपुर, अमेठी- भारत त्यौहारों का देश है।यहाँ विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं।हर त्यौहार अपना विशेष महत्त्व रखता है।रक्षाबंधन भाई-बहनों के प्रेम प्रतीक का त्यौहार है।यह भारत की गुरु-शिष्य परंपरा का प्रतीक त्योहार भी है।यह दान के महत्त्व को प्रतिष्ठित करने वाला पावन त्यौहार है।आजकल राखी प्रमुख रूप से भाई-बहन का पर्व माना जाता है।बहिनों को महीनो पूर्व से ही इस पर्व की प्रतीक्षा रहती है।इस अवसर पर विवाहित बहिनें ससुराल से मायके जाती हैं और भाइयों की कलाई पर राखी बाँधने का आयोजन करती हैं।वे भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं तथा राखी बाँधकर उनका मुँह मीठा कराती हैं।भाई प्रसन्न होकर बहन को कुछ उपहार देता है। प्रेमवश नया वस्त्र और कुछ धन भी देता है।परिवार में खुशी का दृश्य होता है।बड़े बच्चों के हाथों में रक्षा-सूत्र बाँधते हैं।घर में विशेष पकवान बनाए जाते हैं।













रक्षाबंधन के अवसर पर बाजार में विशेष चहल-पहल होती है।रंग-बिरंगी राखियों से सजी दुकानों में रौनक बढ़ जाती है।लोग तरह-तरह की राखी खरीदते हैं।हलवाई की दुकानों पर बहुत भीड़ होती है।लोग उपहार देने तथा घर में प्रयोग के लिए मिठाइयों के पैकेट खरीदकर ले जाते हैं।इस दिन शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। लोग गंगाजल लेकर मीलों चलते हुए शिवजी को जल चढ़ाने जाते हैं।काँधे पर काँवर लेकर चलने का दृश्य बड़ा ही अनुपम होता है ।इस यात्रा में बहुत आनंद आता है।कई तीर्थस्थलों पर श्रावणी मेला लगता है।घर में पूजा-पाठ और हवन के कार्यक्रम होते हैं। रक्षाबंधन के दिन दान का विशेष महत्त्व माना गया है।इससे प्रभूत पुण्य की प्राप्ति होती है,ऐसा कहा जाता है कि पंडित पुराहितों को भोजन तथा दान-दक्षिणा देना शुभ माना गया है।रक्षाबंधन पारिवारिक समागम और मेल-मिलाप बढ़ाने वाला त्योहार है।इस अवसर पर परिवार के सभी सदस्य इकट्‌ठे होते हैं।विवाहित बहनें मायके वालों से मिलने -जुलने आती हैं ।











 उनके मन में बचपन की यादें सजीव हो जाती हैं।बालक-बालिकाएँ नए वस्त्र पहने घर-आँगन में खेल-कूद करते हैं । बहन भाई की कलाई में राखी बाँधकर उससे अपनी रक्षा का वचन लेती है।भाई इस वचन का पालन करता है। इस तरह पारिवारिक संबंधों में प्रगाढ़ता आती है।लोग पिछली कडुवाहटों को भूलकर आपसी प्रेम को महत्त्व देने लगते हैं।इस तरह रक्षाबंधन का त्यौहार समाज में प्रेम और भाईचारा बढ़ाने का कार्य करता है।देश भर में यह अनूठा पर्व है।इसमें हमें देश की प्राचीन संस्कृति की झलक देखने को मिलती है ।बस परिचालकों ने यूपी के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश को भी ताक पर रख दिया। रक्षाबंधन के अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा महिलाओं को दी गई परिवहन निगम की नि:शुल्क यात्रा की सौगात को परिवहन निगम के बेलगाम अधिकारियों एवं परिचालकों ने दरकिनार कर दिया। इतना ही नहीं कई बसें तो डीजल खत्म होने के चलते रास्ते में ही खड़ी हो गई। जिससे बहनों को दी गई परिवहन निगम की नि:शुल्क यात्रा की सौगात सिर्फ हवा हवाई साबित हुई। विदित हो कि भाई-बहन के पवित्र रक्षाबंधन के पावन पर्व पर मुख्यमंत्री ने शनिवार रात 12 बजे से रविवार रात 12 बजे तक बहनों को परिवहन बस सेवा में निःशुल्क यात्रा की सौगात दी थी।









लेकिन बस सेवा में परिचालकों ने निःशुल्क यात्रा को खारिज़ करते हुए टिकट बनाए, आलम यह रहा कि बहने अपने भाई को राखी बांधने के लिए जिस बस पर चढ़ती उनके परिचालक यह कहकर उन्हें उतार देते कि यह बस 2 घंटे बाद जाएगी। यह बस 3 घंटे बाद जाएगी। जिसके चलते महिलाएं, युवतियां एवं बच्चियां दिन भर बसों के पीछे इधर उधर भागती रही। यहां तक कि परिचालकों द्वारा महिलाओं के साथ अभद्रता करने से भी नहीं चुके।  कई जगह तो जागरूक महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा और उनकी परिवहन निगम के अधिकारियों से तीखी नोक-झोंक भी हुई। इतना ही नहीं इन्हौना बस स्टाप के पास उत्तर प्रदेश  परिवहन निगम की बस संख्या यू.पी.42एटी 0493 के चालक और यात्रियों में जमकर तूं तूं मैं मैं देखना को मिला। 













बस चालक की लापरवाही इस कदर हावी थी की जहा पर महिलाओं को देखते वहा बस ही नहीं रोकते थे। बस में सफर करने के लिये तो कई महिलाएं गिरकर चोटिल हो गई है। अब देखना यह होगा की यूपी के मुखिया के आदेश को धता देते परिवहन निगम के बस चालकों पर शासन प्रशासन कहा तक कार्यवाही करता है?

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