अखिलेश्वर तिवारी / वेद प्रकाश
ग्रामीणों ने लगाए गंभीर आरोप सूचना के बाद भी नहीं जागा विभाग
बलरामपुर ।। जनपद बलरामपुर की तीनों तहसीलें बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आती हैं । प्रत्येक वर्ष राप्ती के भीषण बाढ़ से जिले के सैकड़ों गांव के हजारों लोग तथा कई हजार हेक्टेयर फसलें प्रभावित होती हैं । बरसात से पूर्व बाढ़ से बचाव की तैयारियां प्रशासन को करनी होती हैं जिसमें प्रमुख रुप से तटबंधों के रिपेयरिंग व राहत कार्यों से जुड़ी सुविधाएं शामिल होती हैं ।
इस बार तो सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ प्रभावित जिलों के अधिकारियों की मीटिंग करके पूर्व में तैयारी कर लिए जाने का निर्देश भी जारी कर दिया था । जिसमें तटबंधों की रिपेयरिंग प्रमुख थी परंतु बरसात से पूर्व जिले के तटबंधों की रिपेयरिंग का कार्य राम भरोसे ही रहता है । जिसका ताजा उदाहरण राजघाट ककरा का टूटा तटबंध है ।
इससे खरझार नाले पर बनाया गया तटबंध टूट चुका है । राजघाट का तटबंध आशंका के बाद भी व्यवस्था ना कराए जाने के कारण टूटा है । स्थानीय लोगों की माने तो राप्ती की कटान की सूचना संबंधित अधिकारियों को हफ्तों पहले दे दी गई थी । लगातार सूचना के बाद भी विभाग के अधिकारी केवल आते जाते रहे परंतु कोई समुचित व्यवस्था नहीं कराई । नतीजा यह हुआ कि देखते ही देखते लगभग 80 मीटर तक बंद नदी में समा गया इतना ही नहीं एक पूरा बगीचा हुए नदी की आगोश में समा गया । बांध कटान शुरू होने के बाद प्रशासन की नींद टूटी और खतरे को टालने की कवायद शुरू की गई परंतु तब तक काफी देर हो चुकी थी ।
जानकारी के अनुसार राप्ती नदी का कटान जलस्तर घटने के बाद तेजी से शुरू होता है इस बार भी जलस्तर थोड़ा नीचे आते ही कटान तेजी से शुरू हुआ । राप्ती की दिशा सीधा करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा 9 करोड़ से अधिक रुपए लगाकर काफी कार्य कराए गए हैं । जिस जगह पर राजघाट ककरा गांव का तटबंध कटा है उसके ठीक सामने ही 12 लाख रुपए लगाकर राप्ती को सीधा कराने के लिए खुदाई कराई गई थी ।
लोगों की माने तो यह खुदाई मात्र 6 मीटर चौड़ाई में कराई गई जो इतनी बड़ी नदी के लिए काफी कम है । इसीलिए ज्यादा पानी होने की दशा में नदी ने अपना दिशा मोड़ दिया और वह बांध की ओर मुड़ गई । समय रहते तटबंध को नदी के ठोकर से बचाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई जिसका नतीजा यह हुआ कि 24 घंटे के अंदर लगभग 80 मीटर तटबंध और एक बगीचा नदी में समा गया । तटबंध कटने की सूचना पर प्रशासन ने रिंग बांध बनाने की कवायद शुरू की ।
घटना की खबर मिलते ही जिला अधिकारी कृष्णा करुणेश, अपर जिलाधिकारी अरुण कुमार शुक्ला, पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र सिंह, सांसद दद्दन मिश्रा व विधायक पलटू राम सहित तमाम अधिकारी तथा जनप्रतिनिधि मौके पर पहुंचने लगे । सभी ने त्वरित कार्यवाही कर कटान रोकने की बात कही ।
इस तटबंध के कट जाने से लगभग डेढ़ सौ गांव तथा कई हजार हेक्टेयर फसलों के बर्बाद होने का खतरा मंडराने लगा है । विधायक पलटू राम ने तो सीधे आरोप लगाते हुए इसे प्रशासनिक लापरवाही बताया है । वही सांसद ने इसे चूक मानते हुए इससे सबक लेते हुए तत्काल सुधार की बात कही । हलाकि बाढ़ खंड के अधिकारी जिला प्रशासन के लोग दिन रात बचाव के प्रयास में लगे हुए हैं । अब देखना है कि जल स्तर बढ़ने पर कितनी कामयाबी मिल पाती है ।
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