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धनुष भंग होते ही गूंजी राम की जय-जयकार.


सुनील उपाध्याय
बस्ती : दुबौलिया के विवेकानंद इन्टर कालेज के मैदान में चल रही संगीतमयी श्रीराम कथा में अवध धाम से आई कथावाचिका साध्वी चन्द्रकला ने धनुष-यज्ञ के प्रसंग का वर्णन कर श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
साध्वी ने कहा कि भगवान राम के वन गमन का उद्देश्य राक्षसों का वध करने के साथ ही मां सीता का वरण भी करना था। जब महर्षि विश्वामित्र को राजा जनक के यहां आयोजित होने वाले धनुष यज्ञ का निमंत्रण मिला तो वह प्रफुल्लित हो उठे। उन्होंने राम व लक्ष्मण को बुलाकर निमंत्रण के बारे में बताया तथा उनसे तैयारी करने को कहा। दूसरे दिन गुरुदेव दोनों राजकुमारों को लेकर मिथिला नगरी के लिए प्रस्थान कर गए। जब मुनि के साथ दोनों कुमार मिथिला पहुंचे तो वहां के नर-नारी उनका देखकर मंत्रमुग्ध हो गए। राजा जनक की घोषणा के अनुरूप उनके महल में तमाम देशों के राजकुमार उपस्थित हुए थे। जब गुरु के साथ दोनों कुमारों ने धनुष यज्ञशाला में प्रवेश किया तो सभी राजा जोर के ठहाके लगाकर हंस पड़े। तमाम प्रयासों के बाद भी जब कोई भी राजा धनुष को उठाने की बात तो दूर उसे हिला तक नहीं सका, तो राजा जनक काफी दुखित हो उठे। गुरु की आज्ञा पाकर भगवान राम ने सहज ही शिव धनुष भंग किया तो सभी के चेहरे खिल उठे।

जब साध्वी ने धनुष भंग के प्रसंग का वर्णन किया तो पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु भगवान राम की जय-जयकार करने लगे। इसके बाद लोगों ने पुष्प वर्षा कर भगवान राम के विवाह का जश्न मनाया। कथा में सुनील सिंह. अरमान सिह.आशीष सिंह. हरिओम पाण्डेय. शिरिस सिंह. इन्द्रराज सिंह वेलकम स्टूडियो आदि लोग मौजूद रहे..

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