खुर्शीद खान
सुल्तानपुर (यूपी). ज़िले से 65 किलोमीटर दूर अखण्डनगर थाना क्षेत्र के नगरी गांव में मंगलवार को शहीद निलेश सिंह के पार्थिव शरीर को देखनें के बाद कोहराम मच गया। लेकिन इस कोहराम में भी शहीद के 11 साल के बेटा का जज़्बा कमजोर नहीं पड़ा, पिता का चेहरा देख कर वो रोया-चीखा और फिर जोश के साथ बोला 'मेरे पापा अमर रहें।'
भाई का चेहरा देख बहन ने छुपाया चेहरा, पिता पीटने लगे छाती
जम्मू कश्मीर के पोशिया में आतंकी हमले में रविवार को शहीद हुए ज़िले के वीर सपूत निलेश सिंह का पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह जब उनके पैतृक गांव पहुंचा, तो हज़ारो की भीड़ शहीद के चेहरे की एक झलक पानें के लिये बेचैन थी।
इस बीच जैसे ही शहीद निलेश का पार्थिव शरीर उनके घर पर लाकर रखा गया और बाक्स खुला तो बहन भाई के मृत चेहरे को देख बर्दाशत नहीं कर पाई।
भाई का चेहरा देख वो चीखी और फिर अपने हाथों से अपने ही चेहरे को छुपा लिया।
वही पिता राम प्रसाद सिंह के लिये वो वक़्त इस कद्र कष्ट दाई रहा के बेटे को कफ़न में लिपटा देख वो अपना हाथ मलते और छाती पीटते, लेकिन एकाएक उन्होंंने भी हिम्मत और हौसले से काम लिया।
बेटे की शहादत से वो खुद को गौरान्वित महसूस करते हुए बोले शहीद निलेश सिंह अमर रहे।
उधर पत्नी अर्चना सिंह को तो मानों सदमा सा लग गया हो, रोती-चीखती और फिर मूर्च्छा भाव में आ जाती, बेटा रोता तो उसे सीने से लगाकर ममता के आंचल में दिलासा देती।
फ़रवरी में आखिरी बार सफ़र पर आये थे शहीद निलेश
पिता राम प्रसाद सिंह ने बताया कि बीते फ़रवरी माह में अंतिम बार निलेश चचेरी बहन की शादी में छुट्टी पर घर आया था। फौरन बाद ही होली का त्यौहार था इसलिये वो होली मनाने के लिये रुका था। रोते हुए बोले नहीं पता था कि ये उसका आखिरी सफ़र और आखिरी होली है।
उन्होंने बताया शहीद निलेश ने जमकर होली खेलते हुए घर के सदस्यों के साथ साथ गांव के लोगो के साथ भी होली खेली और रंग लगाया था।
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