शिवेश शुक्ला
प्रतापगढ । जनपद के लालगंज तहसील के उदियापुर गाँव मे आयोजित नौ दिवसीय श्री राम कथा के पाँचवे दिन श्री राम विवाह और धनुषयज्ञ का मार्मिक चित्रण करते हुए अंर्तराष्ट्रीय कथाकार प्रेम भूषण जी महाराज ने कहा कि रघुकुल में जो भी होता था वह सद्गुरुओं के सानिध्य में ही होता था ।उन्होंने बताया कि मानस में सभी रीति वेद रीति ,साधु रीति ,और लोक रीति सभी रीति के लिए निष्ठा है इसीलिए धनुषयज्ञ संम्पन्न होने के उपरांत दूत भेजकर मिथिला नरेश ने राजा दशरथ से बारात लेकर आने का आग्रह किया । उन्होंने कहा कि अर्थ वस्तु देता है विश्राम नहीं ,बुद्धि देता है विवेक नहीं,पुस्तक एकत्र करने से नहीं पढ़ने से ज्ञान होता है इसीलिए रघुकुल में गुरुओं के सानिध्य में ही रहकर कार्य होते थे । उन्होंने कहा कि जैसी रुचि होती है वैसा साथ होता है । जैसे जिस जीव की चेतना रहती है वह उसी ओर चलता है ।
रुचि भी अलग अलग होती है । इसलिए समझ सम होनी चाहिए क्योंकि बिना समझ के रिश्ते नहीं चलते । जीवन मे ए गलती कभी न हो । मित्रता,समता और शत्रुता भी समान ब्यवहार वाले से ही होनी चाहिए ।
प्रीति विरोध समान सन ,करिअ नीति असि आहि ।
उन्होंने कहा मुहूर्त विचार कर विवाह कर मिथिला में विवाह का आयोजन हुआ । आज हम जीवन मे मुहूर्त विचार करके ही कार्य करने चाहिए ।
उन्होंने कहा कि ज्योतिष को मान्यता देना चाहिए । कुंडली को जबरन बनाकर बेटा बेटी का जीवन न बिगाड़ें क्योकि ज्योतिष एक शास्त्र है उसे मानना होगा । मन्त्र समझ में आये या न आये पर बिछू झाड़ने वाला झाड़कर विष उतार देता है । दिन उठि बिदा अवध पति माँगा । राखहिं जनकु सहित अनुरागा ।। पर ब्याख्या करते हुए बेटी की विदाई और बेटियों के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए लोगों को भावविभोर कर दिया । इस अवसर पर विधान परिषद के सदस्य अक्षय प्रताप सिंह , प्रमुख कुंडा के प्रतिनिधि सन्तोष सिंह, राजेन्द्र प्रसाद द्विवेदी, विनय शुक्ल,विद्युत मिश्र,विशाल मूर्ति,विनय मिश्र,विवेक उपाध्याय, विद्युत मिश्र, हौसिला प्रसाद ओझा ,राजेश पाण्डेय, जितेंद्र मिश्र ,अश्विनी श्रीवास्तव,शशि शुक्ल,रामफेर पाण्डेय सहित हजारों की संख्या में शुधी श्रोतागण उपस्थित रहे ।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ