अमेठी (यूपी). प्रदेश में अपाराधियों पर नकेल कसने के लिये सरकार इनकाउंटर अभियान चलवा कर अपाराधियों में खौफ क़ायम करने का प्रयास कर रही। बहुतेरे अपराधी अपराध छोड़ खुंचे पर दुकानें लगा रहे, लेकिन अब भी कुछेक अपाराधियों के दिल में यूपी पुलिस अपना खौफ़ नहीं बना सकी है। यहां सीआरपीएफ कैम्प के पास की तस्वीर इसकी बानगी है। तस्वीरों में कैद लग्ज़री गाड़ियों का ये काफेला किसी मंत्री-विधायक का नहीं बल्कि बेल पर जेल से रिहा हुए छात्र संघ नेता का है। जिसके ऊपर कई आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं।
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जानकारी के अनुसार इलाहाबाद यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के पूर्व महामंत्री अभिषेक सिंह माइकल सिंह को एक मामले में हाईकोर्ट से ज़मानत मिली।
मंगलवार को सुल्तानपुर जेल से लग्ज़री गाड़ियों का उसका काफेला अमेठी ज़िले के त्रिसुणडी सीआरपीएफ़ कैम्प पर रोका गया। और फिर हूटर बजाते हुए प्रतापगढ़ होते हुए इलाहाबद पहुंचा।
छात्र नेता के इस तरह तीन ज़िलों से निकले काफेले ने यूपी पुलिस की कार्यशैली को सवालो के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। सूत्रों की मानें तो लग्ज़री गाड़ियों में भारी मात्रा में अवैध असलहे भी मौजूद थे।
फिलहाल इस मामलें में एएसपी अमेठी बीसी दुबे ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है, थानाध्यक्ष से बात कर उचित कारवाई की जायेगी।
इस केस में था जेल में बंद
17 फ़रवरी 2016 इलाहाबाद कोर्ट के अपर जिला जज ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के पूर्व महामंत्री अभिषेक सिंह माइकल और उसके तीन साथियों को 10-10 साल के कैद व 15- 15 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी। चारों को अरेस्ट कर नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया गया था।
कोर्ट ने जिस मामले में माइकल व उसके तीन साथी अंशू पाठक, सचिन सिंह, उमेश सिंह को सजा सुनाई थी, वह वर्ष 2012 का था। आरोप था कि 16 जुलाई 2012 को अनिमेष सिंह अपने छोटे भाई अभिषेक सिंह सोनू को बाइक से यूनिवर्सिटी छोड़ने जा रहा था तभी माइकल व उसके दोस्त आ गए और सोनू के पेट में गोली मार दी थी।
इस मामले की एफआईआर कर्नलगंज थाने में दर्ज करवाई गई थी।
दोनों पक्षों की बहस को सुनने, तर्क एवं साक्ष्यों को देखते हुए अपर जिला जज रामकुशल ने 10- 10 साल की कैद व जुर्माने की सजा सुनाई। सजा के वक्त सभी आरोपी कोर्ट में मौजूद थे, पुलिस ने चारों को वहीं से हिरासत में ले लिया था।
इस मामलें में माइकल को नैनी जेल में बंद किया गया था और बाद में उसे प्रतापगढ़ जिला जेल में शिफ्ट कराया था।
प्रतापगढ़ जिला जेल में माइकल पर जेल अधीक्षक आर के त्रिपाठी को धमकाने का आरोप लगा था और उसे तत्काल सुल्तानपुर जेल भेजा गया था।
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