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होलिया पे उड़े ला गुलाल कि आई ऋतु फागुन की’ पर झूमे श्रोता




सुनील उपाध्याय 
  बस्ती । होली का रंग अभी से दिखने लगा है। शनिवार को कप्तानगंज विकास खंड के दुबौली दूबे दुर्गा मंदिर पर लोक कलाकारों और फिल्मी दुनियां से सम्बंधित कलाकारों ने जब  अवधी-रघुवीरा को जीवन्त किया तो उपस्थित श्रोता झूम उठे। मुख्य विकास अधिकारी अरविन्द कुमार पाण्डेय ने लोक कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। 
 पूर्वांचल की सांस्कृतिक धरती को लोक विधाओं के मामले में धनी माना जाता रहा है लेकिन आधुनिकता की चकाचौध के चलते कई लोक विधाएं विलुप्त होने के कगार पर पहुँच चुकी है ऐसे में स्वैक्षिक संस्था आभा विकास संस्थान और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय सौजन्य से अवधी रघुवीरा लोकगीतों और लोक नृत्य की मंचीय प्रस्तुति विभिन्न कलाकारों द्वारा दी गई । कलाकारों ने मंच को  अवधी-रघुवीरा के लोक गीतों और लोकनृत्य से सजाया। इस कार्यक्रम में लोक गायिका रंजना अग्रहरी तथा अमरेश पाण्डेय अमृत ने  अपने लोक नृत्य गीतों से कुछ ऐसा समा बांधा कि लोग वाह-वाह कर उठे। सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्रनाथ तिवारी ने कहा कि ऐसे मनमावन आयोजनों से लोक मानस का चित्त बदलता है। 
कार्यक्रम का शुभारंभ देवरिया जिले से आये मुख्य अतिथि मुख्य फिल्म अभिनेता रविशंकर मिश्र व विशिष्ट अतिथि फिल्म अभिनेता जीतेन्द्र शुक्ल ने दीप जलाकर किया। निदेशक शिवराम , एस पी दूबे संयोजक अखिलेश दूबे, वृहस्पति पाण्डेय,  पंकज त्रिपाठी ने अतिथियों को अंगवस्त्र व स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर भोजपुरी फिल्म अभिनेता रविशंकर मिश्र ने कहा की विलुप्त हो रही लोक कलाओं व विधाओं को सुरक्षित रखने व आगामी पीढ़ी के लिए उसे जनमानस को अवगत कराने तथा ग्रामीण अंचलों में रहने वाले लोक कलाकारों कों मंच प्रदान करने  तथा कला को निखारने की दिशा में यह सराहनीय प्रयास है। 
होली का अति सुन्दर चित्रण ‘‘लगतई फगुनवा करै लागै हल्ला के माध्यम से प्रस्तुत किया। यशोदा के लाल खैले होली के माध्यम से उन्होने बृज की होली का दृश्य प्रस्तुत कर दिया। मनमोहन लाल बरसाने कब अइयों में बरसाने की गोपियों द्वारा कृष्ण की अभिव्यक्ति की चाह प्रकट हुई और लोक शैली पर आधारित लोकनृत्य सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया। होली के अवसर पर लोक परम्परा पर आधारित गीत ‘पग धीरे धरो घूॅघट वाली, घूॅघट खोल गुलाल मलन दे’ पर गीतकार ने होली की ठिठोली को अभिव्यक्त किया। सांस्कृतिक मंच पर सबसे पहले स्थानीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। आगे-आगे राम चलत हैं पीछे लक्ष्मन भाई तथा होलिया पे उड़े ला गुलाल कि आई रितु फागुन की’ गीत और नृत्य पेश किया। गांव बहुत याद आए, लहकै खेतवा मा पानी, तुमका देखत सांवर गोरिया, दिल दिवाना हुवै गवा, होली खेलें रघुवीरा अवध में आदि गीत खूब सराहे गए।  सुप्रसिद्ध लोक गायिका रंजना अग्रहरी ने संस्कार गीतों को अपने लोक गीत में कुछ इस तरह उकेरा की मानो चलचित्र चल रहा हो। बाल कलाकार रक्षिता सिंह ने राजा रंक की कहानी आधारित नृत्य प्रस्तुत कर खूब तालियाँ बटोरी    
रामानुज पाल , विशाल अभिषेक साक्षी व शिवानी ने खारा पानी, विषैली बयरिया बलम बंबइया न जाएउ,मंद मंद चुवै बगवन मा अमवा, बड़ी झकझोर बयरियाना प्रस्तुत किया । इसके अलावा सैंया मिले लरिकइयां मैं का करूं, रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे, जैसे मधुर गीत सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। शास्त्रीय संगीत गायक पंडित लक्ष्मी मिश्र ने शास्त्रीय संगीत गाकर अवधी प्रेमियों का मनोरंजन किया। श्रीकांत शर्मा ने ‘मांगउ रे सुहाग मैया तोरे मंदिरवा, मोरे आंगन मां बोल रहा कागा, सगुन बड़ा भारी है’, दोनों कुंवर जनकपुर आयो री। ‘आजा प्यारी बन्नी, अटारी सूनी पड़ी’ जैसे लोक गीतों पर श्रोता झूमते रहे। इस अवसर पर  अवधी विधा के लोक गायकों को शिवराम गुप्ता ने द्वारा सम्मानित किया गया । कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी गोरखपुर की उद्घोषिका शुभ्रा सिंह व प्रेस क्लब अध्यक्ष विनोद उपाध्याय ने किया। इस मौके पर कर्नल  के. सी मिश्रा, दिनेश चन्द्र त्रिपाठी, डा. नवीन सिंह, डा. कुलदीप सिंह, कौशल किशोर पाण्डेय, अनिल दुबे, सचिन्द्र शुक्ल, विशाल पाण्डेय, अनूप मिश्रा, राजेश मिश्र अरविन्द प्रभाकर त्रिपाठी ,दुर्गावती,विमल राव,शिवनाथ चौबे, नरेन्द्र सिंह, सतीराम कहार, सहदेव दूबे, शिवनाथ चौबे, दुर्गावती, राम ललित, मुनिराम,ठाकुर प्रसाद, बुद्दुन, राम निहोर, ठाकुर प्रसाद, राम चेत के साथ ही बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। 

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