ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। जिले के मोतीगंज थाना क्षेत्र में इन दिनों हरे भरे प्रतिबंधित पेड़ों को धराशायी कर मालामाल होने का जैसे अभियान चल रहा है। इलाके में खुलेआम पुलिस और वन विभाग की मिलीभगत से वन माफियाओं द्वारा पेड़ों का सफाया किया जा रहा है। इससे सरकार के ग्रीन यूपी, क्लीन यूपी मंशा पर पानी फिरता नज़र आ रहा है।
जिले के मोतीगंज थाना क्षेत्र में इन दिनों इलाकाई पुलिस और वन विभाग की साठगांठ से हरे प्रतिबंधित पेड़ों का सफाया अभियान चल रहा है। सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों मोतीगंज क्षेत्र के फरेंदा गांव के पास आम के तीन हरे पेड़ बगैर परमिट के ही धराशाई कर दिए गए। गांव के ही एक जागरूक युवक द्वारा जब इसका विरोध किया गया तो ठेकेदार ने कहा कि वह पुलिस और वन विभाग के कहने पर पेड़ों को कटवा रहा है। इसी तरह राजगढ़ के पास शीशम और आम के करीब दर्जनभर हरे पेड़ों को बेखौफ ठेकेदार द्वारा कटवा लिया गया। बताया जाता है कि इसकी शिकायत डीएफओ से की गई। इस पर क्षेत्र के फॉरेस्ट गार्ड को मौके पर भेजा गया। ठेकेदार से पहले ही रूपये (पेड़ी) ले चुका फॉरेस्ट गार्ड औपचारिकता पूरी कर चलता बना और अधिकारी को गुमराह करते हुए पेड़ काटे जाने की सूचना को ही गलत बता दिया। इस तरह के तमाम मामले हैं जो पुलिस और वन विभाग के साथ वन माफियाओं के साठगांठ का खुलासा करते हैं।
मोतीगंज थाना क्षेत्र के रामनगर में प्रतिबंधित आम का हरा पेड़ काटे जाने की सूचना वहीं के एक व्यक्ति ने इलाकाई पुलिस तथा वन विभाग के अधिकारियों को मोबाइल फोन पर दी। इस पर उसे पुलिस तथा वन विभाग से ठेकेदार के विरुद्ध कार्रवाई का आश्वासन दिया गया, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। इतना ही नहीं, पुलिस या वन विभाग के किसी कर्मचारी ने मौके पर जाना तक मुनासिब नहीं समझा।
सूत्रों द्वारा बताया जाता है कि इस समय मोतीगंज थाना क्षेत्र में इलाकाई पुलिस और वन विभाग की सहमति से वन माफियाओं द्वारा प्रतिबंधित हरे पेड़ों को बगैर परमिट के ही धराशाई करने का अभियान चलाया जा रहा है। इसके बावजूद ऊंचे और जिम्मेदार ओहदों पर बैठे आला अधिकारी कानों में तेल डाले हुए कुम्भकर्णी नींद सो रहे हैं। वे शिकायतों के बाद भी योगी सरकार के ग्रीन यूपी नारे की हवा निकाल रहे हैं।
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