श्रीमद भागवत कथा का पॉचवा दिन
शिवेश शुक्ला
प्रतापगढ । विश्वमंगल परिवार द्वारा किशोरी सदन में चल रही गौशाला को समर्पित कथा के पंचम दिवस कथा व्यास साधना श्री जी ने कहा कि कथा श्रवण का सुअवसर अत्यंत सौभाग्य से मिलता है,जिस पर प्रभु की कृपा होती है वही कथा पंडाल तक पहुंच पाता है बाकी चलते तो कथा के लिए पर पहुंच नही पाते। आगे कृष्ण भगवान के जन्म की कथा सुनाते कहा कि कंस का आतंक बढ़ता ही जा रहा था।वह कृष्ण को मारने के लिए पूतना राक्षसी को भेजता है,जिसके स्तन पान से भगवान उसे परम गति प्रदान करते हैं।इसी तरह कंस ने कृष्ण को मारने के लिए अकासुर, बकासुर,वृत्तासुर, तृणासुर आदि राक्षसों को भेजता है परन्तु सभी कृष्ण के हांथो से मारे जाते हैं। श्रीकृष्ण अपनी बाल लीलाओं से सबको आकर्षित करते हैं।मक्खन चुराना ,मटकी फोड़ना,चीर चुराना आदि उनकी कलाओं से सभी बल गोपाल,गोपिकाएं मंत्र मुग्ध हो जाती हैं।एक दिन यमुना किनारे कन्दुक खेलते समय नदी में कन्दुक गिरने पर कालिय नाग का वध कर उद्धार करते हैं। इसी तरह एक बार ब्रह्मा जी को अभिमान होने पर गौवों को चुराने पर कृष्ण उनका भी मान भांग करते हैं।गोकुल के लोग कृष्ण के मना करने पर देवराज इन्द्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन की पूजा करने लगते हैं,जिससे क्रुध्द होकर इंद्र मूसलाधार वर्षा करते हैं तब कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठिका उँगली पर उठाकर उसके नीचे लाकर गोकुल वासियों को संकट से उबारते हैं। आज श्रीकृष्ण के बचपन से सम्बंधित लीलाओं, रास से सम्बंधित सुन्दर झाँकियाँ प्रदर्शित की गयी जिनका कथाप्रेमी भक्त गण झूम झूम के आनन्द उठाते रहे। कथा में संयोजक रतन जैन,संजीव आहूजा, शरद केसरवानी, डॉ पीयूष कान्त शर्मा, डॉ अविनाश चंद्रा,श्रीराम मिश्र,नीरजा खंडेलवाल,अंजनी कसौंधन, मुरलीधर केसरवानी, दुर्गेश सिंह,गणेश प्रसाद,दिनेश सिंह,अनुपम पांडेय,राजनारायण सिंह,मीनू खंडेलवाल आदि उपस्थित रहे।
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