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भाव के अर्पण से भगवान को जीत लेता है भक्त : साध्वी


श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन श्रोताओ का उमडा सैलाब
शिवेश शुक्ला 
प्रतापगढ । किशोरी सदन में गत दो दिवसों से चल रही भागवत कथा में आज वृन्दावन वासिनी कथा व्यास साधना श्री जी ने कहा कि भगवान भाव के भूखें है।भाव के अर्पण से भक्त भगवान को जीत लेता है।कथा में आज प्रमुख रूप से शुकदेव महराज का आगमन ,परीक्षित के मृत्यु के भय को दूर करना,मनु शतरूपा की कथा,मनु की पुत्री का दक्ष प्रजापति के साथ विवाह प्रमुख दृष्टान्त रहे।दक्ष की पुत्री सती का विवाह भगवान शंकर के साथ होने और दक्ष द्वारा यज्ञ के अवसर पर भगवान शंकर के अपमान से सती के क्रुध्द होकर आत्मदाह करने से भगवान शंकर तांडव करते हैं।सती अगले जन्म में राजा हिमाचल की पुत्री पार्वती के रूप में अवतरित होती हैं और शिव से विवाह के लिए संकल्पित हो कठोर तपस्या करती हैं।उनकी तपस्या से प्रसन्न शिव का पार्वती से विवाह होता है।शिव-पार्वती के विवाह के अवसर पर झाँकी निकलने पर भक्त गण भाव विह्वल हो पंडाल में नाचते रहे।कथा व्यास साधना श्री जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति गुरु प्रधान संस्कृति है जिसमें शिक्षा की बजाय दीक्षा का अधिक महत्व है जो जीवन में सदाचरण को प्रवर्तित करती है।आगे और कहा कि गौशाला को समर्पित इस कथा का संकल्प अनुपम है।क्योंकि गो सेवा से व्यक्ति परम पद की प्राप्ति कर लेता है।गोशाला हेतु दिया गया दान उत्तम कोटि का है।
इस अवसर पर संयोजक रतन जैन,संजीव आहूजा, शरद केसरवानी, डॉ पीयूष कान्त शर्मा,अंजनी सिंह,डॉ अविनाश चन्द्रा, श्रीराम मिश्र ,राजनारायण सिंह,राहुल सिंह,,मुरली केसरवानी, शिवम मिश्रा, अनुपम पाण्डेय, प्रेमलता खंडेलवाल, शशि शर्मा,कविता केसरवानी, नीरजा खंडेलवाल आदि भक्त गण उपस्थित रहे।

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