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पीली पर्ची कटवाई, फिर भी नहीं मिला आवास

 
144 अपात्रों को जिम्मेदारों ने कर दिया आवास आवंटन 
 सत्येन्द्र खरे 
कौशाम्बी:जहां एक ओर सरकार वर्ष 2022 तक सबका साथ सबका विकास के तहत हर व्यक्ति को आवास मुहैया कराने की पहल कर रखी है, वहीं जिम्मेदार पूरी तरह इस पर पलीता लगाने में अमादा है। डूडा विभाग कौशाम्बी द्वारा बने आवास के आवंटन हेतु पीली पर्ची तो 2011 में ही काट दी गई, लेकिन अब जाकर लोगों को आवास दिया गया। यही नही आवास उन लोगों को दिया गया, जिन्होंने पीली पर्ची नहीं कटवाई थी, जबकि आवास का आवंटन पीली पर्ची कटवाने वाले लोगों को दिया जाना था। 
कौशाम्बी के अझुआ नगर पंचायत में वार्ड नंबर दो अंबेडकर नगर की मलिन बस्ती के 223 लोगों ने वर्ष 2011 में बने आवास पाने के लिए पीली पर्ची कटवाई। डूडा विभाग ने 144 आवासीय कॉलोनी का निर्माण कराया। तकरीबन छह साल तक आवास का आवंटन नहीं किया गया। पिछले दिनों आवास का आवंटन किया गया तो पीली पर्ची धारकों को आवास न देकर जिम्मेदारों ने धांधली बरतते हुए अपात्रों को आवास आवंटित कर दिया। ऐसे में पीली पर्ची कटाने के नाम पर पात्रों से एक से तीन हजार रूपये तक की वसूली विभाग ने 2011 में ही कर लिया। ऐसे में गरीबी का दंश झेल रहे मलिन बस्ती के लोग अब भी पन्नी व छप्पर डालकर इस भीषण ठंड में गुजारा करने को मजबूर है। गरीबी का दंश झेल रहे लोगों के बच्चे कबाड़ बिनकर अपने परिवार के भरण पोषण में सहयोग कर रहे है। पढ़ाई की उम्र में कबाड़ बिन रहे बच्चों की ओर कोई भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहा है। जो शिक्षा विभाग समेत विकास विभाग के कार्यो की पोल खोल रहा है। वहीं कॉलोनी में पानी की व्यवस्था न होने से लोगों को पानी दूर से लाना पड़ रहा है। बिजली न होने से शाम होते ही अंधेरा पसर जाता है। 

क्या कहते है अधिशाषी अधिकारी, अझुआ 
अपात्रो को आवास आवंटित कर दिया गया है| इसकी जानकारी नही है, हालाँकि कुछ लोगो ने शिकायत किया है| जांच कराई जा रही है| जांच रिपोर्ट आ जाने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है|


लक्ष्मीकांत साहू का कहना है कि कॉलोनी देने के नाम पर वर्ष 2011 में ही पीली पर्ची काटी गई थी। लेकिन पिछले महीने कॉलोनी के आवंटन का आवंटन किया गया तो मेरा नाम उसमें शामिल नहीं था। इससे आज भी मेरा परिवार छप्पर डालकर जीवन यापन कर रहा है। 

लालचंद्र मौर्या का कहना है कि पीली पर्ची धारकों को आवास आवंटन के बजाय खुलेआम अपात्रों को आवास आवंटित कर दिया गया है। इससे आज भी हमारा परिवार पन्नी डालकर गुजर बसर कर रहा है। 

करन रावत का कहना है कि मोहल्ले के गरीब लोगों के बच्चे पैसा न होने की वजह से कबाड़ बिनकर परिवार के भरण पोषण में हाथ बंटाते है। पढ़ाई की उम्र में इस तरह से बच्चों को काम करता देखकर अच्छा तो नहीं लगता। लेकिन इसके अलावा किया भी क्या जा सकता है।

रामदास का कहना है कि कॉलोनी देने के नाम पर पीली पर्ची काटकर एक से तीन हजार रूपये तक की वसूली की गई है। कॉलोनी तो हमें नहीं दी गई, लेकिन पैसे की मांग पर भी जिम्मेदार कोई जवाब नहीं दे रहे है।

माया देवी का कहना है कि पड़ रही भीषण ठंड में पन्नी डालकर रहने में भारी कठिनाई हो रही है। जल्द ही जिला प्रशासन का घेराव कर कॉलोनी दिलाए जाने की मांग की जाएगी। यही नहीं पीली पर्ची का पैसा कहां गया, यह भी पूछा जाएगा।

मानसिंह का कहना है कि पात्रों को आवास न देकर अपात्रों को दे दिया है। इससे साफ जाहिर होता कि जिम्मेदारों ने आवास आवंटन में खुलेआम धांधली की है। आवास आवंटन के समय भी अधिकारियों से विरोध किया गया था।

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