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क्या है अमर शहीद राजेन्द्र नाथ लाहिडी का पूरा सफर जानिय अमर शहीद के प्रपौत्र की जुबानी


गोण्डा। अमर शहीद राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी के ९१ वें शहीद दिवस पर जिला कारागार मे इनके चित्र पर माल्यापर्ण एंव प्रांगण में फांसी घर के समक्ष आर्य समाज द्वारा प्रत्येक वर्ष की भांति वेद मंत्रोच्चारण के साथ जनपद न्यायाधीश पुलिसअधीक्षक के मौजूदगी मे राजकीय सममान एंव राष्ट्रीय धुन के साथ हवन अमर शहीद के मूर्ति पर माल्यापर्ण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी वहीं जेल प्रांगण से थोड़ी दूर स्थित शहीद के अंतिम संस्कार स्थल बूचड़ घाट शहीद स्थल स्थित समाधि पर माल्यापर्ण किया गया।
 आज ही के दिन  जिला कारागार गोण्डा मे काकोरी काण्ड के अमर शहीद २७ वर्षीये नौजवान राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी को १९२७ मे फांसी दी गयी थी तब से आज तक इस जेल मे किसी को फांसी नही दी गयी। आज के दिन प्रत्येक वर्ष यहां शहीद मेले का आयोजन किया जाता है। आज के दिन  जिले मे  विद्यालयो एंव सरकारी कार्यालयो मे अवकाश घोषित कर दिया गया है।
  क्या है राजेन्द्र नाथ लाहिडी का पूरा सफर        
 मातृ भूमि को गुलामी की बेडि़या काटने हेतू देश के  अनेको जाबाज रण बाकुरो ने अपना प्राण अर्पण किया है। उन्ही में काकोरी षडयन्त्र के अमर सपूत बलिदानी राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी का नाम धु्रवतारा की तरह सदैव भारत में अमर रहेगा। लाहिड़ी जी का जन्म २३ जून १९०१ को वर्तमान बांगला देश के जिला पावना अन्र्तर्गत ग्राम मोहनपुर में माता बसंत कुमारी एवं पिता छितिन मोहन के  घर में हुआ। बड़े भाई जीतेन्द्र नाथ लाहिड़ी बंग-भंग आन्दोलन में पूर्व से जेल की सलाखों में बंद थे। लाहिड़ी जी अपने मामा के घर काशी- बनारस आ गये और ननिहाल के सहयोग से सेन्ट्रल हिन्दू स्कूल से मैट्रिकुलेशन की परीक्षा उत्तीर्ण कर सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी सचिन्द्र नाथ सान्याल के नेतृत्व में आजादी के जंग में कूद पड़े और रिपब्लिकन सोसलिस्ट पार्टी के सदस्य बने। लाहिड़ी जी ने अपने फौलादी सुदृढ़ता देश भक्ति दीवानगी और निश्चित की अडिग्तर के बल पर ९ अगस्त १९२५ को काकोरी रेलवे स्टेशन पर पैसेन्जर गाड़ी का सरकारी खजाना लूट लिया जिससे अंग्रेज गवर्नमेंट तिलमिला गयी। और घटना में अंग्रेजो ने २३ राष्ट्रभक्तों के विरूद्ध मुकदमा चलाया मुकदमा हजरतगंज वर्तमान जीपीओ लखनऊ में चला जज हेवेन्टन ने रिंग थियेटर हाल में पं. राम प्रसाद विसमिल , राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी , ठा. रोशन सिंह और नबाब असफाक उल्ला खां को सजा-ए- मौत दी तथा अन्य को साधारण सजाये दी गयी थी। २७ वर्षीये इस नौजवान ने १७ दिसम्बर १९२७ को गोण्डा जिला कारागार में सुबह ४ बजे अन्तिम बार बन्देमातरम् का हुंकार भरा और गले में फांसी का फंदा डालकर चिर निंद्रा में विलीन हो गया था। 
राजेन्द्र लाहिडी के प्रपौत्र सोमेन्द्र लाहिडी
राजेन्द्र लाहिडी के प्रपौत्र सोमेन्द्र लाहिडी 


अमर शहीद के प्रपौत्र से विशेष बात चीत

अमर शहीद राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी के प्रपौत्र कोलकाता के अगर पड़ा उसुमपुर पल्ली 24परगना नार्थ निवासी सोमेन्द्र नाथ लाहिड़ी ने बताया जब राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी की गोण्डा जेल में फांसी हुई थी तो हम पैद भी नही हुए थे हमारे बाबा और पिता जी ने बताया था गोण्डा मे अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी और जब बाबा और पिता जी लाश लेने पहुंचे तो उन्हें लाश भी नही दी गयी थी उन्होंने कहा राजेन्द्र लाहिड़ी का सपना पूरा नहीं हुआ आजादी तो मिली लेकिन आर्थिक आजादी नहीं मिली है।अंग्रेज एक पेपर पर आजाद करने का हस्ताक्षर कर के दे दिये और हम आजाद हो गये उन्होंने कहा यह बात अगल है कि उ.प्र. मे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सम्मान होता हैं ऐसे उत्सव मनाये जाते है लेकिन बंगाल मेंऐसा नही है वहां मोहल्ले मे मनाया जाता है उन्होंने कहा कि कलकत्ता के महाजाति सदन मे 200स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की फोटो लगी है जिसका उद्घाटन सुभाष चन्द्र बोस और रवीन्द्र नाथ टैगोर ने किया था।उन्होंने कहा नेहरू जी ने एक कार्य ठीक किया है जो  वोट से सरकारे बदलती है। इन्दिरा गांधी ने बैको की राष्टीकृत करने का अच्छा कार्य किया है लेकिन आर्थिक आजादी के लिए कुछ नही हुआ। नरेन्द्र मोदी का कांग्रेस की अपेक्षा अच्छा कार्य है। लेकिन कांग्रेस के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का10वर्ष का कार्यकाल दूसरे के बैक डोर से चलाने से पूरा हुआ।
क्या है परिवार की स्थित 
राजेन्द्र लाहिड़ी के भाई के प्रपौत्र ध्रुव लाहिड़ी  उसुमपुर नौकरी करते है उनके भाई के हम सभी संतान है हमारे बडे भाई सुधाशु मोहन की मृत्यु हो गई है दूसरे नम्बर पर मै सोमेन्द्र मोहन और मुझसे छोटे तपन मोहन लाहिड़ी है.

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