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ईश्वर प्राणि मात्र की मूल चेतना के केन्द्र में :श्री कृष्णा ब्रम्हानन्द


राकेश गिरी 
बस्ती । परमात्मा एक है किन्तु समय, काल, परिस्थिति के अनुरूप लोगों ने मनुष्य को अनेक धर्म, जाति, सम्प्रदाय, वर्ग में विभाजित कर दिया। प्राणि मात्र की मूल चेतना के केन्द्र में ईश्वर भिन्न नही है। ऋषियों, मुनियों, गुरूजनों ने सदियों से यही संदेश दिया किन्तु स्वार्थ के कारण यह भेद बना हुआ है। यह विचार श्री कृष्णा ब्रम्हानन्द पाण्डेय ने व्यक्त किया। वे सोमवार को एक होटल में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
बताया कि प्राणि मात्र में सद्भावना के उद्देश्य से 20 दिसम्बर  सोमवार से गौर विकास खण्ड के सरदहा शुक्ल गांव में श्रीमद्भागवत कथा, अति विशिष्ट महायज्ञ और सद्गुरू सत्संग बचन गंगा का आयोजन किया गया है।  
महात्मा जी ने कहा कि उन्हें बाबा जयगुरूदेव से जो प्रेरणा मिल रही है उस अनुरूप उनके विचार, गुरू महिमा के गान के उद्देश्य से आयोजित 9 दिवसीय        आध्यात्मिक अनुष्ठान में अति विशिष्ट महायज्ञ का भी आयोजन किया गया है जिसमें देवताओं को प्रसन्न करने हेतु अनेक आहुतियां डाली जायेंगी जिससे पर्यावरण और मानसिक चेतना का शुद्धिकरण हो। बताया कि मनोज कृष्ण शास्त्री जी महाराज के श्री मुख से श्रीमद्भागवत कथा की अमृत वर्षा होगी।

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