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सुल्तानपुर:सोशल मीडिया आधुनिक युग की नई ऊर्जा है-ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह




ख़ुर्शीद खान
सुलतानपुर। सोशल मीडिया ने संवाद के क्षेत्र में एक नई क्रांति पैदा की है । इसका उपयोग दुष्प्रचार के लिये अधिक हो रहा है यह चिंतनीय है।यह बातें प्रसिद्ध आलोचक रघुवंशमणि ने कहीं।
डॉ.रघुवंश मणि जिला पंचायत सभागार में कथा समवेत द्वारा आयोजित 'समय,समाज और साहित्य पर सोशल मीडिया का हस्तक्षेप' विषयक संगोष्ठी को बतौर मुख्यवक्ता सम्बोधित कर रहे थे।
संगोष्ठी के विशिष्ट वक्ता चर्चित साहित्यकार ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह'रवि' ने कहा सोशल मीडिया आधुनिक युग की नई ऊर्जा है।इसका उपयोग सकारात्मक व नकारात्मक ढंग से बखूबी हो रहा है यह उपयोगकर्ता पर निर्भर है कि वह किस ओर जाता है।
संगोष्ठी से पूर्व माँ धनपति देवी स्मृति कथा साहित्य सम्मान प्रदान किया गया 
2017 हेतु यह सम्मान कथा समवेत द्वारा आयोजित अखिल भारतीय हिन्दी कहानी प्रतियोगिता के माध्यम से चयनित किया गया था ,2111 रुपये का प्रथम पुरस्कार आजमगढ़ की युवा कथाकार डॉ.सोनी पाण्डेय को,1711 रुपये का द्वितीय पुरस्कार होशंगाबाद के डॉ.गोपाल नरायण आवटे को 1511रुपये का तृतीय पुरस्कार भोपाल के इंजीनियर अरुण अर्णव खरे को तथा 1111 रुपये के तीन संत्वना पुरस्कार हरियाणा के ब्रह्मदत्त शर्मा,राजस्थान के भरत चंद्र शर्मा व लखनऊ की डॉ.रश्मिशील को प्रदान किया गया । सभी सम्मानित साहित्यकारों को कथा समवेत के सम्पादक डॉ.शोभनाथ शुक्ल , संगीता शुक्ल व गीतकार अवनीश त्रिपाठी ने धनराशि के साथ सम्मान पत्र,अंगवस्त्र व स्मृतिचिन्ह देकर पुरस्कृत किया ।
संचालन संत तुलसीदास पी.जी.कालेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ करुणेश भट्ट व अध्यक्षता पूर्व डिप्टी एस.पी.ज्वाला प्रसाद पाण्डेय ने किया।
समारोह के द्वितीय सत्र में कथा समवेत पत्रिका के नवीन अंक और कथाकार दिनेश प्रताप सिंह 'चित्रेश' के पहले कहानी संग्रह 'अंधेरे के बीच' का विमोचनहुआ । इस सत्र में बोलते हुये साहित्यकार श्याम नरायण श्रीवास्तव ने कहा -सुलतानपुर साहित्य की दृष्टि से बहुत उर्वर है । यहां के लोगों ने साहित्य की हर विधा में अपना झण्डा बुलंद किया है ।सत्र की अध्यक्षता डॉ.आद्या प्रसाद सिंह 'प्रदीप' व संचालन ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह'रवि' ने किया । समारोह में आशुकवि मथुरा प्रसाद सिंह'जटायु',डॉ.सुशील कुमार पाण्डेय 'साहित्येन्दु',जयंत त्रिपाठी, डॉ.सूर्यदीन यादव,डॉ.ओंकारनाथ द्विवेदी, शोध छात्र विपिन विक्रम सिंह,डॉ.रामप्यारे प्रजापति , सुरेश चंद्र शर्मा आदि प्रमुख रुप से मौजूद रहे ।

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