(बहराइच)। उर्रा जंगल से सटे हरखापुर गांव में तेंदुओं का हमला जारी है। थर्मो सेंसर कैमरे लगने के बाद भी वन विभाग को कोई मदद नहीं मिली। निरंतर हमले जारी हैं। इस पर वन विभाग की टीम ने गांव में दो स्थानों पर गन्ने के खेत में पिंजरे लगाए हैं। टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के जवानों के साथ वनकर्मी भी गश्त कर रहे हैं।
पिंजरा लगने से तेंदुए को पकड़ने में आसानी होगी। कतर्नियाघाट संरक्षित वन क्षेत्र के धर्मापुर रेंज अंतर्गत हरखापुर गांव में बीते शुक्रवार को एक बालक को तेंदुए ने निवाला बना लिया था। वन विभाग ने गांव पहुंचकर ग्रामीणों को गोले-पटाखे वितरित किए थे। इसके साथ ही बाघ व तेंदुओं से सुरक्षा के लिए नौ थर्मो सेंसर कैमरे भी गांव में अलग-अलग स्थानों पर लगाए गए थे। लेकिन कैमरे से वन विभाग को कोई लाभ नहीं मिला। तेंदुआ क्षेत्र बदलकर पशुओं को निवाला बनाने लगा। दो दिन पूर्व एक ग्रामीण पर भी हमला कर दिया लेकिन सजगता से जान बच गई। गांव में हमलों का दौर निरंतर जारी है। ऐसे में वन विभाग ने गुरुवार को हरखापुर गांव में दो स्थानों पर पिंजरा लगाया है। वन क्षेत्राधिकारी रमाशंकर सिंह ने बताया कि हरखापुर गांव के अलावा ग्राम पंचायत के मजरा त्रिमुहानी में गन्ने के खेत में पिंजरा लगाया गया है। पिंजरे में बकरियों को बांधा गया है। जिससे बकरी के शिकार करते समय तेंदुए या बाघ उसमें कैद हो जाएं। मालूम हो कि छह दिन के अंतराल में तेंदुआ अब तक पांच हमले कर चुका है। इनमें तीन पशुओं के साथ एक बालक को निवाला बनाया, जबकि ग्रामीण को घायल किया है। हरखापुर गांव में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स की टीम के वन दरोगा मनोज कुमार की अगुवाई में वन्यजीव रक्षक परशुराम त्रिपाठी व अंगद राव रात में ड्यूटी कर रहे हैं। वहीं वन क्षेत्राधिकारी रमाशंकर की अगुवाई में वन दरोगा शरीफ अहमद, आरएन राव दिन में गश्त कर रहे हैं।
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